बहुला चतुर्थी व्रत भगवान श्री कृष्ण के गौ चारण की कथा |
Bahula Chturthi Vrat Bagvan Karishan Ke Gou Charan Ki Katha

 

 

 

ऐसी अद्भुत गोप्रीति है भगवान्‌की, अभी ठाकुरजी चार बरसके हुए और चार सालके ठाकुरजी रूठ गये, क्यों रूठ गये ? बोले, ‘बाबा ! अब मैं बड़ो है गयो, मैं गैया चराने जाऊंगा । अरे लाला ! ग्वारियाका लाला है गया ही चरावेगी और का करैगौ ।

लाला अभी तू  छोटो है,  बड़ो है जा, फेर गय्या चराइयो।’ तब ठाकुरजी रोना बन्द नहीं कर रहे थे। यह निश्चित किया गया कि सखा – मण्डलीके साथ ठाकुरजीको गो-वत्सचारणके लिये नियुक्त किया जाय, चार सालके ठाकुरजी गैया चरानेके लिये, गोसेवाके लिये रो रहे हैं। ये ठाकुरजीकी गोप्रीति है ।

वे बछड़े चराते हैं और बछड़े कैसे चराते हैं, उसका भी भागवतमें वर्णन है; बछड़ों की मालिश करते हैं, बछड़ोंके साथ खेलते-कूदते हैं, हरी हरी घास उखाड़ – उखाड़कर बछड़ोंको अपने हाथसे खिलाते हैं, बछड़े खूब घास चर लेते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं, जमुनाजीका जल पी लेते हैं, बछड़े जब बैठ जाते हैं, तब ठाकुरजी बैठते हैं, इतनी प्रीति

करते हैं, कुछ कलेऊ लेकर आते हैं किंतु, बछड़े जब खा लें, पी लें तब ठाकुरजी कलेऊ करते हैं।

अब ठाकुरजी पाँच वर्षके पूरे हो गये और छठे वर्षमें प्रवेश किया । छः वर्षके भगवान् रोने लग गये और इतना रोये कि भगवान्‌का रोना ही बन्द न हो, खिलौने सामने रखे, तो सब उठाके फेंक दिये, गोदमें मैया लेती तो गोदसे उतरकर भूमिमें लोट जाते । सब शृंगार बिगाड़ लिया। अब मैया – बाबा सब पूछ रहे हैं, ‘लाला कुछ बताय तो सही अपने मनकी तू क्यों रोय रह्यो है ?’ रोते-रोते हिचकी बँध तू यी ठाकुरजीकी और बोले, ‘बाबा ! अब मैं माखन खाय-खाय मोटो है गयो हूँ, बड़ो है गयो हूँ, सो मैं गय्या चराऊँगो ।’ अरे राम-राम ! सवेरेसे गय्या चराइबे कूं रोय रह्यो है, पहले ही बताय देतो। देख लाला, हम गोपालक हैं, हमारो धर्म गो-सेवा है, हम गउअनकी सेवा करे हैं, पर हमारे हिन्दू धर्ममें समस्त कार्य मुहूर्त सूं किये जायँ ।
पुरोहितजीको बुलावेंगे, वे पंचांग देखेंगे, पत्रा देखेंगे, मुहूर्त बतायेंगे गोसेवाका गोचारणका अमुक मुहूर्त है, तब तुम्हारे हाथ गोपूजनपूर्वक गोचारण सम्पन्न कराया जायगा ।

ठाकुरजी बोले, बुलाओ पुरोहितजीको, अभी मुहूर्त दिखाओ। वे पुरोहितजी, पुरोहितजी रो रहे थे नाम लेके, तबतक शांडिल्य मुनि जी खुद ही आ गये। पुरोहितजीने पूछी कि ‘लाला कैसे रोय रह्यो है ? आप मुहूर्त देख दो, गैया कबसे चराना शुरू करें’ ।

तुरंत उन्होंने पंचांग खोला और बोले अरे बाबा, तुम्हारे लाला तो मुहूर्त देखके ही रोयो है। बोले आज कार्तिक शुक्ल अष्टमी है, गोपाष्टमी है, आज तो गोमाताका पूजन करके गोचारण करना चाहिये, आजसे श्रेष्ठ दूसरी कोई तिथि गोचारणकी नहीं है, जो कोई भी वक्त श्रद्धा भक्ति से गोपाष्टमी की पूजा करता है बिना चरण पादुका पहनने गायों के पीछे पीछे चलता है गायों की चरण रज को अपने मस्तक पर धारण करता है वह वक्त संसार में समस्त सुख भोग कर अंत में गोलोक में भगवान श्री विष्णु के श्री चरणों में स्थान प्राप्त करता है |

 

 

 

अन्य समन्धित पोस्ट

करवा चौथ व्रत की कथा 

 

अन्य समन्धित कथाये

कार्तिक स्नान की कहानी 2 

कार्तिक मास में राम लक्ष्मण की कहानी 

इल्ली घुण की कहानी 

तुलसी माता कि कहानी

पीपल पथवारी की कहानी

करवा चौथ व्रत की कहानी

आंवला नवमी व्रत विधि , व्रत कथा 

लपसी तपसी की कहानी 

देव अमावस्या , हरियाली अमावस्या

छोटी तीज , हरियाली तीज व्रत , व्रत कथा 

रक्षाबन्धन शुभ मुहूर्त , पूजा विधि 15 अगस्त 2019

कजली तीज व्रत विधि व्रत कथा 18 अगस्त 2019

भाद्रपद चतुर्थी व्रत कथा , व्रत विधि

नाग पंचमी व्रत कथा

हलधर षष्ठी व्रत विधि व्रत कथा [ उबछठ ]

जन्माष्टमी व्रत विधि , व्रत कथा

गोगा नवमी पूजन विधि , कथा

सोमवार व्रत की कथा

सोलह सोमवार व्रत कथा व्रत विधि

मंगला गौरी व्रत विधि , व्रत कथा

स्कन्द षष्टि व्रत कथा , पूजन विधि , महत्त्व

ललिता षष्टि व्रत पूजन विधि महत्त्व

कोकिला व्रत विधि , कथा , महत्त्व

 

 

 || बोलो गणेश जी भगवान चौथ माता की जय ||  

यदि आपको तिल चौथ , माहि चौथ , संकट चतुर्थी व्रत पर लिखी  कहानी आपको पंसद आयी  हैं तो इसे फेसबुक , ट्विटर , गूगल और व्हाट्सएप्प पर जरुर शेयर करे व कमेन्ट्स के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करे | इसके  बाद गणेश जी की और  पतिव्रता स्त्री शैव्या की कहानी सुने |

अन्य व्रत त्यौहार :-

तिल चौथ व्रत में सुनी जाने वाली पतिव्रता स्त्री की कहानी 

मंगलवार व्रत की कथा

भगवान कृष्ण के प्रसिद्ध मन्दिर 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि , व्रत का महत्त्व 

राधा जी की आरती

आरती खाटू श्याम  जी की 

आरती गोवर्धन भगवान जी की 

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

 

 

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

 

 

 

Copyright © HindusFestivals 1999-2022 All rights reserved.
Powered by WordPress and HitMag.