कार्तिक स्नान की सास बहूँ वाली कहानी
Kartik Sanan Ki Kahani 2 Saas Bahu vali kartik snan ki kahani
दो साँस बहुए थी | कार्तिक मास आया तो सास बोली ,” मैं कार्तिक स्नान के लिए तीर्थ जाना चाहती हूं | ” बहु बोली मैं भी चलूगी | सास बोली “ तू अभी छोटी है | अभी मुझे जाने दे | ” सासु तीर्थ गई तो बहु कुम्हार के से तैतीस कुंडे ले आई | रोज एक कुंडा भर कर रखती | उधर गंगा में सांसु जी की नथ गिर गई | बहु कुंडे में नहाती हुई बोली , “ सांसु न्हावे उंडे में में न्हाऊ कुंडे “ इतने में गंगा की धारा कुंडे में आ गई | साथ में सांसुजी की नथ भी आ गई बहु ने नथ पहचान ली और अपने नाक में पहन ली | महिना पूरा हुआ सांसुजी आई बहु सामे लेने लगी तो सास नथ देख बोली तू यह कहा से लाई तो बहु बोली यह तो मेरे कुंडे में गंगा की धारा के साथ आ गई | अब सास बोली मुझे ब्राह्मण भोज करना है | बहु बोली सासुजी दो ब्राह्मण मेरे भी जिमा दो | मेने भी कार्तिक स्नान किया हैं | तूने कहा कार्तिक स्नान किया तो बहु बोली , ऊपर चलो मैं आपको बताती हूँ | ऊपर गये तो देखा सारे कुंडे सोने के हो गये | बहु बोली में रोज कुंडा भर कर रखती और सुबह जल्दी उठकर नहाती और उल्टा कर के रख देती | तब सासुजी बोली बहु तू बहुत भाग्यवान जों साक्षात् गंगाजी तेरे पास आई | तूने श्रद्धा और विश्वास से कार्तिक स्नान किया तो भगवान ने तुझे फल दिया | दोनों सास बहु ने धूमधाम से ब्राह्मण जिमाकर दक्षिणा देकर विदा किया |कार्तिक स्नान की कहानी १
भगवान जैसा सास बहु को दिया वैसा सब को देना | इस कहानी के बाद इल्ली घुण की कहानी सुनें |कार्तिक स्नान की कहानी १ कार्तिक स्नान की कहानी १ कार्तिक स्नान की कहानी १ कार्तिक स्नान की कहानी १
अन्य समन्धित कथाये
कार्तिक मास में राम लक्ष्मण की कहानी
आंवला नवमी व्रत विधि , व्रत कथा