पथवारी माता की कहानी

एक बार पथवारी माता ,पाल और विनायक जी में झगड़ा हो गया | सब आपस में स्वयं को बड़ा बताने लगे | इतने में एक ब्राह्मण का लड़का आया | पाल , पथवारी ,गजानन्द जी ने उसे रोका और कहा , लडके  रुक जा और हमारा न्याय कर | लड़का बोला “ मैं कल वापस आऊंगा तब न्याय करूंगा “ घर आकर लडके ने माँ से कहा , माँ मुझे कल पाल , पथवारी माता , विनायक जी का न्याय चुकाना हैं , तो माँ ने कहा , बेटा सबको बड़ा बता देना |

दुसरे दिन लड़का वहाँ गया और बोला , “ पाल माता आप बड़ी हो , क्यों की हर व्यक्ति आता हैं और स्नान ध्यान करके शुद्ध होकर जाता हैं ,और आप सबकी रक्षा करती हैं | हे पथवारी माता आप सबसे बड़ी हो क्यों की कितने भी तीर्थ , धर्म , ध्यान कर ले पर आपकी पूजा किये बिना उनका कार्य पूर्ण नहीं होता | ‘ आप जीवित को भी तारती हैं और मरने के बाद भी उद्धार करती हैं | “ पथवारी माता पथ की धराणी “ इसलिये आप बड़ी हो | अब विनायक जी से लड़का बोला ‘’ सबसे पहले शुभ काम में आप को ही मनाया जाता हैं ,आप को ध्याये बिना कोई काम सिद्ध नहीं होता हैं “ इसलिये आप बड़े हो |

 

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पाल माता , पथवारी माता , विनायक जी भगवान लडके की चतुराई से प्रसन्न हो गये , और बोले लडके तुमने तो हम सबको ही बड़ा कर दिया उसको सुखी रहने का आशीर्वाद दिया और जौके दाने उसके अंगोछे में डाल दिए | लड़का सोचने लगा , “ ये तो घाटे का सौदा रहा , सारा दिन खराब कर न्याय किया और इतने से जौ मिले | उदास मन से घर आकर अंगोछा एक कोने में डाल दिया |

माँ ने अंगोछा उठाया तो उसमे से हीरे मोती बिखर गये | तो माँ बोली बेटा न्याय करके क्या लाया हैं , लड़का बोला माँ कोने में जों पड़ा देख ले | माँ वहाँ गई देखा हीरे मोती का ढेर लगा हैं हीरे मोती जगमगा रहे | माँ अत्यधिक प्रसन्न हो गई | माँ ने बेटे को बुलाया और कहा बेटा आज तो पाल माता , पथवारी माता , विनायक जी भगवान  आज तो हम पर प्रसन्न हुए हैं | माँ बेटे बहुत प्रसन्न हुए |

हे भगवान ! जैसा पाल माता , पथवारी माता , विनायक जी भगवान ने लडके को दिया वैसा सबको देना | कहानी कहने , सुनने ,हुंकारा भरने वालो को सुख़ – समृद्धि , धन – धान्य देना |

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