शीतला माता की जय हो | शीतला माता की सदा ही जय हो | शीतला माता | शीतला माता |

शीतला सप्तमी व्रत पूजन विधि | 15 मार्च  2023 बुधवार 

 शीतला माता 2023 होली के 7 दिन बाद शीतलामाता शीतला सप्तमी का त्यौहार मनाया जाता हैं | इस वर्ष शीतला सप्तमी गुरुवार  शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता का पूजन किया जाता हैं | शीतला सप्तमी का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं | ऐसी मान्यता हैं की इस दिन गर्म  खाना नहीं बनाते और खाते भी नही हैं | एक दिन पूर्व ही खाना बनाते हैं और शीतला माता का पूजन कर घर के सभी सदस्य ठंडा [बासी ] खाना खाते हैं | जिस घर में शीतला माता का पूजन और व्रत शुद्ध मन से किया जाता हैं वहाँ शीतला माता धन – धान्य , सुख़ – समृद्धि , आरोग्य , बच्चो पर चेचक [ बोदरी , छोटी माता ] आदि से से रक्षा करती हैं |

शीतला माता के पूजन के लिए भोग में पूरी , पापड़ी , हलवा, लापसी , चावल , राबड़ी अपनी इच्छा के अनुसार जैसी परम्परा हो बनाये | सुबह [ प्रात: काल } रोली , मोली ,  काजल , मेहँदी , बाजरे के दाने , दही , कच्चा दूध , जल का लोटा , जों भोग बनाया हैं व , ब्लाउज पीस ,पैसे , आदि सामग्री लेते हैं | शीतला माता के पूजन के पश्चात पथवारी माता की पूजा करनी चाहिए , पुजा के बाद बाजरे के दाने हाथ में लेकर कहानी सुनते हैं | बाजरे के दाने से खेत भी बोते हैं | ऐसी मान्यता हैं की गणगौर पूजन करने वाली महिलाये इसी दिन ज्वारे बोती हैं |

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  शीतला माता की कहानी

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार चेत्र का महिना आया | होली बाद के दिन आये , शीतला सप्तमी माता आई | सभी लोग कहने लगे “ माता आई “ “ माता आई “ शीतला माता के स्वागत के लिए किसी ने हलवा बनाया , किसी ने लापसी | माता के गर्म खाने का भोग लगाया , माता के अंग अंग में आग जलने लगी तो माता दोडी – दोडी कुम्हार के घर गई | कुम्हार को कहा , “ मेरा अंग – अंग जल रहा हैं कुम्हार ने माँ के ठंडी मिट्टी से लेप कर दिया , शीतला माता को थौड़ा आराम मिला बोली बेटा मुझे भूख लगी हैं | कुम्हार के घर रात की बनी रोटी राबड़ी रखी थी , उसने माता को खिला दी, इससे माता का ताप शांत हुआ और कुम्हार पर प्रसन्न हो बोली सारी नगरी में हा हा कार होगा , केवल तेरा घर बचेगा और तेरे घर में सदा अन्न धन के भंडार भरे रहेंगे |

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सारी नगरी में त्राहि –त्राहि करने लगे और कुम्हार का घर बच गया | सारे लोगो ने कुम्हार से पूछा कुम्हार तूने क्या जादू किया जिससे सारा नगर नष्ट हो गया और तेरा घर बचा रहा | कुम्हार बोला मैंने माता को शीतल किया तुम सब ने माता को गर्म भोजन करवाया जिससे माता के अंग – अंग में छाले में हो गये थे इसी कारण माता का कोप हुआ और नगर में त्राहि त्राहि मच गई | लोगो ने पूछा माता कहाँ हैं ? तो कुम्हार कहने लगा माता नीम की छाया में बैठी हैं | सभी शीतला माता की शरण में गये और माता से क्षमा मांगी और माता ने कहा ! तुमने मुझे गर्म भोजन खिलाया जिससे मेरे मुँह में छाले हो गये |

कुम्हार ने मुझे ठंडा भोजन करवाया , जिससे मुझे ठंडक मिली | इसी कारण सारा नगर नष्ट हो गया |” और कुम्हार का घर महल बन गया | लोगो ने विनती की माता अब क्या करे | “ तो माता बोली होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी आती हैं , उस दिन सब नगर निवासी छठ को बनाये खाने से मेरी पूजा करे व भोग लगाये और माता अंतर्धयान हो गई | अगले साल शीतला सप्तमी आई सब ने ठंडा बनाया भोग लगाया माता की पूजा की  जिससे माता प्रसन्न हुई और सारी नगरीमें आनन्द हो गया |

हे शीतला माता ! जैसे सारे नगर वासियों को क्षमा किया , उन पर प्रसन्न हुई वैसे सभी पर प्रसन्न रहना , भूल – चुक क्षमा करना | इसके बाद पथवारी माता व गणेश जी की कहानी सुनना चाहिए |

                                 शीतला माता की आरती 

ॐ जय शीतला माता , मैया जय शीतला माता ,

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता ,

ॐ जय शीतला माता ………….|

रतन सिहांसन शोभित , श्र्वेत छत्र भ्राता ,

रिद्धि सिद्धि चंवर डोलावे , जग मग छवि छाता ,

ॐ जय शीतला माता …………….|

विष्णु सेवत ठाढ़े , सेवे शिव धाता ,

वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता ,

ॐ जय शीतला माता ………………|

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र विणा हाथा ,

सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता ,

ॐ जय शीतला माता ………….|

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता ,

करे भक्त जन आरती लखि लखी हरहाता ,

ॐ जय शीतला माता ………………..|

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता  ,

भक्तन को सुख़ देती मातु पिता भ्राता ,

ॐ जय शीतला माता ……………………|

जों भी ध्यान लगावै प्रेम भक्ति लाता ,

सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता ,

ॐ जय शीतला माता ………………|

रोगन से जों पीड़ित कोई शरण तेरी आता ,

कोढ़ी पावे निर्मल काया अंध नेत्र पाता ,

ॐ जय शीतला माता ………………|

बाँझ पुत्र को पावे दरिद्र कट जाता ,

ताको भजै जों नाही सिर धुनि पछिताता ,

ॐ जय शीतला माता …………|

शीतल करती जननि तुही हैं जग त्राता ,

उत्पति व्याधि विनाशत तू सब की धाता ,

ॐ जय शीतला माता …………..|

दास विचित्र कर जौड़े सुन मेरी माता ,

भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता ,

ॐ जय शीतला माता ……………………|

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