मंगला गौरी व्रत 

Mangala Gouri Vrat Katha

मंगला गौरी व्रत को श्रावण मंगलवार के नाम से भी जाना जाता हैं | माँ गौरी और महादेव का पूजन विधि पूर्वक किया जाता हैं | इस व्रत को विवाहित महिलाये श्रद्धा से करती हैं | इस व्रत को करने से माँ गौरी व भगवान भोलेनाथ सुखी गृहस्थ जीवन का आशीवाद प्रदान करते हैं  |

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मंगला गौरी व्रत पूजन विधि

  • प्रात स्नानादि से निर्वत हो नूतन वस्त्र धारण करे |
  • एक समय भोजन करे , माँ गौरी व महादेव का मन ही मन स्मरण करे |
  • माँ गौरी व महादेव का चित्र ले अथवा मन्दिर में पूजन कर सकते हैं जहा शिव परिवार हो |
  • मन में ध्यान करे – माँ गौरी व् महादेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले |
  • ‘ मम पुत्रापौत्रसौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थ पंचवर्ष पर्यन्तं मंगला गौरी व्रत महं करिष्ये |’

 मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री

  • चौकी अथवा पाटा
  • लाल व सफेद वस्त्र , कलश
  • गेंहू व अक्षत
  • आटे से बना दीपक व सोलह  – सोलह तार से बनी चार बत्ती
  • लाल मिटटी माँ की प्रतिमा बनाने के लिए
  • कच्चा दूध व पंचामृत सामग्री , रोली , मोली , काजल , मेहँदी
  • सोलह प्रकार के पुष्प , नवेद्धय , मेवा , अनाज सभी वस्तुए 16 होनी चाहिए |
  •  सोलह पान , सोलह सुपारी , सोलह लोंग , एक सुहाग पिटारी [ जिसमें सुहाग की सभी वस्तुए होना आवश्यक माना गया हैं |

मंगला गौरी व्रत पूजन – विधि

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पूर्व में मुहं रखकर चौकी पर लाल व श्वेत वस्त्र बिछाए व चावल की नौ ढेरिया बनाये , पान के पत्ते पर साठीया बनाये भगवान गणेश जी की स्थापना करे | गेहू के दाने रख उस पर कलश स्थापित करे |आटे से बने चौमुखी दीपक में सोलह तार की बत्ती जलाये | गणेशजी का विधिवत पूजन कर , दीपक , कलश व् गेहू से बनी ढेरियो को माँ का स्वरूप मान ध्यान करे | अब पवित्र मिटटी से माँ की प्रतिमा बनाकर श्रद्धा व भक्ति से मूर्ति स्थापित करे |  कच्चे दूध व पंचामृत व शुद्ध जल से स्नान कराकर नूतन वस्त्र धारण करवाए | रोली , मोली , काजल , अक्षत से पूजन कर सुहाग पिटारी , पुष्प , अनाज , लौंग , सुपारी , पञ्च मेवा अर्पित करे |

अब मंगला गौरी व्रत कथा सुन अगले दिन माँ गौरी की प्रतिमा को पवित्र जल में विसर्जित करे |

मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि

पांच वर्ष पूर्ण होने पर श्रावण के अंतिम मंगलवार को सोलह सुहागिनों के साथ विधि पूर्वक पूजन कर , उन्हें भोजन करा कर दक्षिणा प्रदान क्र चरण स्पर्श कर अखंड सौभाग्य की आशीष ले |

मंगला गौरी व्रत कथा

एक समय में कुरु नामक देश में अति विद्धवान प्रजा वत्सल राजा राज्य करते थे ,जो की अनेक कलाओ में निपूर्ण थे | परन्तु उनके कोई सन्तान नहीं थी | उन्होंने अपनी धर्मपत्नी के साथ अनुष्ठान कर माँ भगवती को प्रसन्न किया |

देवी प्रसन्न हुई और कहा  – हे राजन ! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ वर मांग लो | तब राजा ने विन्रम निवेदन किया | हे माँ ! मेरे कोई सन्तान नहीं हैं मुझे अपना वंश बढ़ाने व सन्तान सुख प्राप्त करने के लिए पुत्र प्राप्ति की आशीष दीजिये | तब देवी ने कहा राजन तुम्हारे भाग्य में सन्तान सुख नहीं हैं परन्तु तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हु अत तुम्हे सोलह वर्ष की आयु वाला अल्पायु पुत्र होगा |

परन्तु राजा ने देवी के चरण पकड़ लिए और देवी से विनती की कि माँ कोई तो उपाय बतलाये तब देवी ने कहा यदि सोलह वर्ष की आयु पूर्ण होने से पहले मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से इसका विवाह होगा तो इसको जीवन दान मिलेगा और देवी अंतर्ध्यान हो गई |

ज्योतिषियों व ज्ञानीजनों की मदद से राजा ने अपने पुत्र का विवाह गुणवान , रूपवती कन्या से विवाह किया उस कन्या को मंगला गौरी व्रत कर माँ गौरी व महादेव से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीवाद प्राप्त था इस कन्या से विवाह कर राजा के पुत्र को दीर्घायु प्राप्त हुई | दोनों ने गृहस्थ जीवन का सुख प्राप्त किया |

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|| जय माँ मंगला गौरी की सदा ही जय हो ||  || हर हर महादेव ||

पार्वती चालीसा