ललिताषष्टि व्रत पूजन विधि , महत्त्व | Lalita Shshti Vrat Pujan Vidhi , Mahattv

ललिताषष्टि व्रत पूजन विधि , महत्त्व

व्रत करने की तिथि – यह व्रत भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की षष्टि तिथि को किया जाता हैं |  

व्रत का फल – इस व्रत को करने से उत्तम रूप , अखंड सौभाग्य , गुणवान सन्तान प्रदान करने वाला हैं |इस व्रत में शक्तिरूपा माँ ललिता की पूजा अर्चना की जाती हैं |

ललिता षष्टि व्रत पूजन विधि – प्रातकाल स्नानादि से निर्वत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके घर के इशान कोण में पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके विधि पूर्वक धुप , दीप , वस्त्राभूषण ,नारियल , कुमकुम , गुलाल , अबीर , घी , इत्र , पुष्प , दूध , गंगा जल , ऋतू फल , मोली , आसन , आदि से माँ ललिता को समर्पित कर निम्न मन्त्र से पूजन करे –

ॐ हीं षष्टि देव्यै स्वाहा “ मन्त्र से 11 पुष्पांजली अक्षतो के साथ देवे | इस विधि से पूजन कर रात्रि जागरण कर नृत्य एवं माँ के भजन गाये | इस दिन निराहार उपवास रखना चाहिए |

पन्द्रह सुहागिन स्त्रियों व ब्राह्मणों को भोजन करवा कर यथा शक्ति दक्षिणा देना चाहिए |

ललिता षष्टि व्रत का महत्त्व – ललिता षष्टि व्रत अखंड सौभाग्य की कामना से दीर्घायु सन्तान सुख के लिए रखा जाता हैं |अनेक प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते हैं |इस दिन चन्दन से भगवान श्री हरि के पूजन का भी विधान हैं |इस व्रत को सन्तान षष्टि व्रत के नाम से भी जाना जाता हैं |इस व्रत को करने से  स्त्री या पुरुष जीवन भर सुख सोभाग्य से सम्पन्न रहकर अंत में व्रती ललिता गौरी माँ की शरण में चला जाता हैं |

|| माँ ललिता की सदा ही जय हो ||

 

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ललिता षष्टि व्रत विधि