मोली का शाब्दिक अर्थ हैं “ सबसे ऊपर “ | मोली का वैदिक नाम उपमणि भी हैं | मोली के प्रकार भी हैं | शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं इसलिये इसे चन्द्र मोली भी कहा जाता हैं | हिन्दू धर्म में हर धार्मिक कार्यक्रम में , पूजा में , रोली का तिलक व मोली धागा बांधने का रिवाज हैं | जब भी घर में छोटी या बड़ी पूजा या अनुष्ठान हो तो हाथ में लाल रंग का धागा [ मोली ] इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जानते हैं | हिन्दू धर्म में हर धार्मिक कार्यक्रम में मोलि धागा बांधने की विधि होती हैं | ये रक्षासूत्र पंडितजी के द्वारा बांधा जाता हैं | मोली धागा कोई साधारण धागा नहीं हैं |

 

यह विशेष रूप से कच्चे सूत से तैयार किया जाता हैं | यह विभिन्न रंगो में होते हैं जैसे लाल , पीला , नारंगी होते हैं |

 

ऐसी मान्यता हैं की मोली धागा बांधने से ब्रह्मा , विष्णु , महेश तथा तीनो देवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं |  मोली धागा बांधने से आप की भगवान बुरी नजर से रक्षा करते हैं तथा आरोग्य , दीर्घायु ,सम्पूर्ण सुख़ प्रदान करते हैं |

“ ॐ एम बद्धो बलि राजा , दानवेन्द्र महाबल:
तेन त्वामनुबधनानी रक्षे माचल माचल ||“

आज भी जब किसी को रक्षासूत्र , मोली बांधते हैं तो इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता हैं | वैदिक मन्त्रो के साथ विधि पूर्वक हाथ में चावल रख करमुट्ठी बंद कर दूसरा हाथ सिर के पीछे रखे मोली बांधने के बाद चावल के दाने अपने पीछे की तरफ फेक दे |

शाश्त्रो के अनुसार पुरुषो एवं अविवाहित कन्याओ को दाऐ  हाथ में तथा विवाहित स्त्रियों को बाँए हाथ में मोली धागा बांधने का नियम हैं | अगर किसी अन्य दिन मोली बंधवाना चाहते हैं तो मंगलवार और शनिवार का दिन श्रेष्ट माना जाता हैं | बुरी नजर से बचने के लिए काला धागा बांधने का रिवाज हैं |

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यह माना जाता हैं की जब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण का रूप धारण किया था तो उन्होंने राजा बलि के हाथ में लाल धागा बांधा था , तभी से हाथ में मोली बांधने का रिवाज हैं |

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