हरियाली अमावस्या ,सोमवती अमावस्या
Hariyali Amavasya Pujan Vidhi , Mahttv
श्रावण कृष्ण अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं | श्रावण मास में माँ गौरी व् महादेव का पूजन किया जाता हैं | हरियाली अमावस्या के दिन पितृ तर्पण के साथ शिव पूजन का विशेष महत्त्व हैं | इस बार 20 जुलाई को हरियाली अमावस्या सोमवार को होने के कारण भगवान सोमवती और भगवान शिव की आराधना का विशेष संयोग रहेगा |हरियाली अमावस्या ,सोमवती अमावस्या Hariyali Amavasyaसर्वार्थसिद्धि योग, पुनर्वसु नक्षत्र के संयोग में मनेगी हरियाली अमावस्या | हरियाली अमावस्या के दिन पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा।सोमवार को यदि पुष्य नक्षत्र रहे तो उसे सोम पुष्य कहते हैं। रात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग भी है।16 साल बाद सावन माह में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है।
सोमवार को हरियाली अमावस्या हैं | इस दिन किये गये दान पूण्य से अमोघ फल की प्राप्ति होती हैं | पितृ तर्पण करने एवं किसी तीर्थ स्थान पर स्नान करने पितृ जन को मोक्ष प्राप्त होती हैं | हरियाली अमावस्या के दिन वट [ बरगद ] वृक्ष की पूजा की जाती हैं वट वृक्ष नहीं हो तुलसी की पूजा कर कथा सुनने से सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती हैं | मंगला गौरी व्रत कथा यहा पढ़े
हरियाली अमावस्या के दिन प्रात: स्नानादि से निर्वत होकर ब्राह्मणों को खीर मालपुऐ का भोजन कराये तथा दक्षिणा में वस्त्र अन्न देने से पितृ प्रसन्न होते हैं | हरियाली अमावस्या इस अमावस्या को पर्यावरण के महत्त्व को दर्शाती हैं | शास्त्रों में भी तुलसी , पीपल , वट वृक्ष , आम , आंवला , नीम के पौधे को गुणकारी व् ओषधि कारक बतलाया गया हैं | श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वृक्ष रोपण का विशेष महत्त्व हैं | वृक्षों में ब्रह्मा , विष्णु , शिव का वास होता हैं | हरियाली अमावस्या को वृक्षा रोपण करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं | नीम , कदम्ब के वृक्ष लगाने से नकारात्मक उर्जा समाप्त होती हैं | बरगद [ वट वृक्ष ] का अपना विशेष महत्व हैं स्त्रिया व्रत त्योहारों पर पूजन कर अखंड सौभाग्य की आशीष लेती हैं | पितृ प्रसन्न होते हैं | तामसिक वस्तुओ का सेवन वर्जित माना गया हैं | श्रावण मास का धार्मिक महत्त्व यहा पढ़े
हरियाली अमावस्या को किसी तीर्थ स्थान पर “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम “ मन्त्र का जप करने मात्र से ही पितृ प्रसन्न होते हैं |
पितृ दोष निवारण मन्त्र
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नम:
ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नम:
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