आंवला नवमी का महत्त्व 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी व्रत करना चाहिये | आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता हैं | इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नही होता | इसका पुण्य सात जन्मो तक मिलता हैं | इस वर्ष आंवला नवमी व्रत 2  नवम्बर 2022  को हैं |

इस दिन सूर्योदय के समय भक्ति पूर्वक अनेक पुष्पों , वस्त्र , गंध , फल , तिलपिष्ट ,अन्न , गोधूम , धुप तथा माला आदि से निम्नलिखित मन्त्र से आंवला वृक्ष की पूजां करे |

श्री निवास नम्स्तेअस्तु श्री वृक्ष शिव वल्लभ |

 ममाभिलक्षितं  कृत्वा  सर्व  विघ्नं  हरों भव ||

इस विधि से पुजा कर आंवला वृक्ष कि 108  प्रदक्षिणा कर उसे प्रणाम करे |

इस व्रत को करने से व्यक्ति रोग ,शोक , दुखो से मुक्त हो जाता हैं ,तथा सौभाग्य  में वृद्धि होती हैं |

आंवला

नवमी { अक्षय नवमी } व्रत कथा

किसी समय काशी नगरी में एक व्यापारी और उसकी धर्म पत्नी रहते थे | उनकी कोई सन्तान नही थी | इसी कारण वें बहुत दुखी रहते थे | एक दिन एक सन्यासी उसे मिला और उसने बताया की यदि सन्तान चाहती हैं तो उसे किसी जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा को देनी होगी |उसने जब अपने पति को बताया तो उसे यह बात जरा भी पसंद नहीं आई | पर पत्नी सन्तान पाने के लिए आतुर थी | इसलिये उसने एक बच्चा चुराकर उसकी बलि भैरव बाबा को दे दी , इसके पाप के कारण पत्नी को अनेक प्रकार की व्याधियो से ग्रसित हो गई | पत्नी की ऐसी हालत देख व्यापारी को बहुत दुःख हुआ तब उसकी पत्नी ने बताया की बच्चे की बलि देने के के पाप स्वरूप मेरी यह हालत हुई हैं |

बहुत बड़े – बड़े महात्माओ से पूछने पर उन्होंने बताया की कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन नदी में स्नान कर आंवला वृक्ष का पूजन कर विधि पूर्वक अर्चना करें | अनन्तर गंध , पुष्प ,धुप , नैवैध्य से व्यापारी की पत्नी ने तन , मन , धन से विधिपूर्वक पूजन व्रत किया | इससे शीघ्र ही उसके सभी कष्ट दुर हो गये और एक स्वस्थ सुन्दर बालक को जन्म दिया | इस दिन महिलाये सुख़ सोभाग्य , निरोगी काया , स्वस्थ उत्तम सन्तान की प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं |

इस प्रकार जों महिला भक्ति पूर्वक इस व्रत को रखती हैं , वें अवश्य ही सभी सम्पतियो को प्राप्त करती हैं |

आंवला नवमी की दूसरी कथा

एक आंवला राजा था | जों रोज एक सोने का आंवला दान करता था और बाद में खाना खाता था | एक दिन उसके बेटे बहुओं ने सोचा की इस तरह तो राज्य का खजाना खाली हो जायेगा | इसलिये इनके दान करने की आदत को बंद करना चाहिये | फिर राजा का पुत्र आया और राजा से बोला की आप सारा धन लुटा देगें , इसलिये आप आंवले का दान करना बंद कर दो | तब राजा रानी व्याकुल मन से उजाड़ में जाके बैठ गये | राजा ने आंवले का दान नही किया इसलिये खाना भी नहीं खाया | तब भगवान ने सोचा इसका मान तो रखना पड़ेगा | तब भगवान ने सपने में कहा कि तुम उठो ,तुम्हारे पहले जैसी रसोई हो गई हैं और आंवले का वृक्ष लगा हैं , तुम दान करो और जीम लो |

तब राजा रानी ने उठकर देखा तो पहले जैसै राज पाठ हो गये और सोने के आंवले वृक्ष पर लगे हुए हैं | तब राजा रानी पहले की तरह आंवले का दान करने लगे | वहा पर बेटे बहु के घर अन्न्दताता का बैर पड़ गया | आसपास के लोगो ने कहा कि कि जंगल में एक आंवलिया राजा हैं सो तुम वहाँ चलो तो तुम्हारा दुःख दुर हो जायेगा | वें वहाँ पर चले गये | वहा पर रानी अपने बेटे और बहु को देखकर पहचान गई और अपने पति से बोली कि इन दोनों से काम तो कम करायेगें और मजदूरी ज्यादा देगें | एक दिन रानी ने अपनी बहु को बुलाकर कहा की मुझे सिर सहित नहला दो | बहु सिर धोने लगी तो बहु के आखं से आंसू निकल कर रानी की पीठ पड़ गया | तब रानी बोली तुम क्यों रो रही हो मुझे कारण बताओं | तो बहु बोली मेरी भी सासु की पीठ पर ऐसा ही मस था | वह एक मन का आंवले का दान करते थे , तो हमने उन्हे करने नही दिया | हमसे गलती हो गई तब सासु बोली हम ही तुम्हारे सास ससुर हैं |तुमने तो हमें निकाल दिया पर भगवान ने हमारा सत रख लिया | हे भगवान ! जैसा सत राजा रानी का सत रखा वैसा ही सबका रखना |

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इस कहानी के बाद बिन्दायकजी की कहानी सुनें |

आंवला नवमी [ अक्षय नवमी ] पूजन सामग्री

आंवले का पौधा , फल, नैवैध्य , तुलसी के पत्ते , पुष्प , जल का कलश , कुमकुम , सिंदूर , हल्दी , अबीर – गुलाल , अन्न , धुप , माला ,चावल , नारियल , कच्चा सूत , श्रंगार का सामान और साड़ी ब्लाउज और पैसे आदि |

आंवला नवमी [ अक्षय नवमी ] पूजन विधि

  कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की नवमी को नदी में स्नान कर पितृ देवी का विधिपूर्वक अर्चना करे | इसके पश्चात आंवले के वृक्ष की पूर्व दिशा में मुख रखकर पूजन करना चाहिए | सबसे पहले जल चढाये तत्पश्चात  रोली , मोली , अक्षत चढाये फिर

“ श्री देवी प्रीयताम “

 “ ऊं धात्र्यै नम: “

ऐसा कहकर प्राथर्ना करें |

आंवले के वृक्ष में दूध चढाते हुए पितरों का तर्पण करे | आरती उतारे कथा सुने फिर आंवले के वृक्ष की 108 परिक्रमा करे |

इस दिन किसी सुहागन स्त्री को साड़ी ब्लाउज व श्रंगार के सामान रुपया व अन्न का दान करे |

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