गीत पितर जी
सोना की डांडी राजा रूपा रा चेला ।
तोल गांधी का बेटा किस्तूरी ॥
एकुण जी मुलाव गोरा एकुण जी तुलाव,
म्हार पितर बालूडा रा अंग चढ़े ।
श्री कृष्ण जी मुलाव गोरा तुलसी जी तुलाव, बालुड़ा पितरजी के अंग चढ़े ॥
छोटी सी तलाई जामे नीर बो तेरो, म्हारा पितरां को लसकर आवियो जो।”
न्हाया तो धोया पितर हुआ रे सन्तोषी, म्हारी तलाई में दूणी दूणी सिग चढे ॥
छोटो सो बुगचों ज्यामें कपड़ा बोतेरा, म्हारा पितरों से लसकर अत घणो ॥
पहऱ्या तो कपड़ा पितर हुआ रे सन्तोषी, म्हारा बुगचा में दूणी दूणी सिंग चढे ॥
छोटो सो डाबूल्यों ज्यामें गहणा भोतेरा, म्हारा पितरों से लसकर अत चार्णो ॥
पहया तो गहणा पितर हुआ रे सन्तोषी, म्हारा डाबूल्या में दूनी दूनी सिंग चढ़े ॥
छोटी सी कड़ाई ज्यां में लापसड्या रंधाई, म्हारा पितरा से लसकर अत घाणो ॥
जीम्या तो चूट्या पितर हुआ रे सन्तोषी, म्हारी कड़ाई में दूणी दूणी सिग चढ़े ॥
छोटो सो चोपड़ो ज्यामें केसर कूं कूं घोलियों, म्हारा पितरां रो लसकर अत घणो ॥
काढ्या तो टीका पितर हुआ रे सन्तोषी, म्हारा चोपड़ा में दूनी दूनी सिंग चढ़े ॥
छोटो सो नारेलो ज्यामें चिटक्यां बोतेरी, म्हारा पितरां को लसकर अत घणो ॥
चोढी तो चिटक्यां पितर हुया रे सन्तोषी, म्हारा नारेला में दूनी दूनी सिंग चढ़े ॥
छोटी सी नगरी ज्या में साजनिया बोतेरा, भंवरलाल जी का बेटा पोता अत घणा ॥
पितर बालूड़ा राजा देवो न आशीषां, थाँकी आशीषां फलस्यां फूलस्यां जी ॥
आमुडा ज्यों थे, फलज्यो राजा बेल ज्यो पसरज्यो, लिलड़ा नारेला लडलूमज्यो जी ॥
चौदस के दिन आज्यो राजा अमावस न जायज्यों, बंस बधाज्यो परिवार को जी ॥
भूखा भूखा आज्यो राजा धाया धाया जाज्यो, बंस बधाज्यों परिवार को जी ॥
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थांका बाबाजी के आगे दुधही निमडी
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