सती माता का गीत

 

मेहंदी रची थार हाथ मं, काजल घुल रहयो आख्या मं।  चुदंडी को रंग सुरग, माँ राणी सती, माँ दादी सती।

फूल खिल्या थारा बागा में, चांद उग्यों हैं राता मं। माँ धारो इतनो सुहानों रूप, माँ राणी सती, माँ दादी सती।

रूप सुहाणों जद में देखु, निंदडली नहीं आख्यां म। मेरे मन पर जादु कर गयो, थारी मीठी बाता मं।

भूल गयी सब कामा मं, याद करूं धारा नामा नं। माया को झुठो फंद, माँ राणी सती, माँ दादी सती।

 

मेहंदी रची थार हाथ मं, काजल घुल रहयो आख्या मं।

थे कहों तो दादी थारी ओ… थे कहो तो दादी थारी नथनी बन जाऊं मं,

नथनी तो बन जाऊं। थारे होठा में रम जाऊं मं, चुडलों बनू थारा हाथा मं। बोर बनु थारा माथा मं, बनजाऊं बाजुबंद माँ राणी सती माँ दादी सती।

मेहंदी रची थार हाथ मं, काजल घुल रहयो आख्या मं।

थे कहो तो दादी थारी, पायलडी बन जाऊ मं। पायलडी बन जाऊ थारे चरणा मं, रम जाऊ मं। हार बनु थारे गला मं, मोती बधाऊ थारे घुंघट मं। नैना में कर लूं बंद, मा राणी सती माँ दादी सती।

मेहंदी रची थार हाथ मं, काजल घुल रहयो आख्या मं।

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