पितर जी रातीजगा गीत | मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं म्हारी माय म्हारी माय

पितर जी रातीजगा गीत

मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं म्हारी माँ म्हारी माय |पितर जी रातीजगा गीत

मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं
म्हारी माय  म्हारी माय
पितर पधारयां म्हारे आंगनियाँ
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
कपिला गाय को गोबर मंगास्यां,
ता बिच अँगना लेप लिपास्यां,
म्हें तो मोतियन चौक पुरावां,
म्हारी माँ पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
गंगा जी से जल मंगवास्या,
पितरां ने स्नान करास्यां,
पाँचू ही कपड़ा पहनावां म्हारी माय
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
कपिला गाय को दूध मंगास्यां,
ता बिच उजली खीर रधास्याँ,
पितरां ने खीर जिमास्यां म्हारी माय
कपिला गाय को गोबर मंगास्यां,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
चौधस की रात जगास्यां,
पितरां ने पाटे बैठ्यासाँ,
मावस ने भोग लगास्यां म्हारी माय
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
माता बहना करे छे विनती
सब भाई भतीजा करे  छै विनती,
पितरां ने गाय रिझास्या म्हारी माय
की याही छै विनती,
मैं पग पग फुलङा बिछाऊं मेरी माय,
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।
मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं
म्हारी माय म्हारी माय
पितर पधारयां म्हारे आंगनियाँ
पितर जी पधारयां म्हारे आंगनियाँ।।

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One Comment on “पितर जी रातीजगा गीत | मैं तो पग-पग फुलड़ा बिछाऊं म्हारी माय म्हारी माय”

  1. सभी को नमस्कार! आज मैं तुझसे पूछता हूँ, क्या तूने मुझे नहीं भेजा। लेकिन क्या आपने? जब आप भेजते हैं, तो क्या आप नहीं समझते कि भेजें, लिखें कि यह क्या है? मेरे पास इतना अनुभव नहीं है। आपका देश क्या है, क्या नहीं है क्योंकि मैं विदेश में रहता हूं और बचपन से यहां रहता हूं। मैं तुम्हारे देश के बारे में नहीं जानता।मुझे अच्छा लगा कि मैं नहीं बोलता। मुझे पसंद नहीं आया।यह भगवान का है लेकिन मनुष्य को पता होना चाहिए। यह भगवान विष्णु भगवान हैं यह क्या कहने की कोशिश कर रहा है? ऐसा करने के लिए क्या प्रयास कर रहा है जो मनुष्य के लिए आवश्यक है? मेरे माता-पिता नहीं हैं, सभी का देहांत हो चुका है। मेरे माता-पिता की उम्र लगभग 40 वर्ष रही है। गुजर गया।जब मैं बच्चा था।देखो, मैं तुम्हें समझ कर लिख रहा हूँ। मेरे पास ज्यादा अनुभव नहीं है इसलिए मैं आपसे पूछना चाहता हूं। तुम सब समझदार हो इसलिए समझ जाओगे। बहुत-बहुत धन्यवाद! भगवान विष्णु आप सभी पर अपार कृपा करें।

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