गणगौर पूजन 2023 विधि , महत्त्व , गणगौर पूजन गीत , कथा
गणगौर होलिका दहन के दुसरे दिन | 7 मार्च बुधवार चैत्र कृष्णा प्रतिपदा से आरम्भ कर 23 अप्रैल गुरुवार चैत्र शुक्ला तृतीया तक पुरे सौलह दिन गणगौर पूजन किया जाता हैं | राजस्थान के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में घर – घर में मनाया जाने वाला एक पवित्र सांस्कृतिक , धार्मिक और पारम्परिक त्यौहार हैं | अखंड सोभाग्य , उत्तम गुणवान पति एवं एश्वर्य तथा भगवान शिव और माँ पार्वती के आशीर्वाद प्राप्ति के लिए ईशर – गणगौर की बड़े उत्साह व उल्लास एवं समारोह के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं |
गणगौर [ गौरी पूजा ] सोभाग्यवती स्त्रियों और कन्याओ का प्रमुख त्यौहार हैं | राजस्थान में कन्याये पुरे सौलह दिन गणगौर पूजन कर माँ पार्वती को प्रसन्न करती हैं | जिन कन्याओं का विवाह होता हैं उन्हें भी प्रथम वर्ष सौलह दिन गणगौर पूजन अत्यंत आवश्यक माना गया हैं |
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गणगौर पूजन विधि
सोभाग्यवती स्त्रिया व कन्याये तालाब से मिट्टी लाकर ईशर गणगौर [ शिव – पार्वती ] की मुर्तिया बनाती हैं | पूजा के लिए हरी दूर्वा , पुष्प , जल लेन के लिए टोली बनाकर सुमधुर गीत गाते हुए सिर पर रख जल भरे लोटे या कलश में दूर्वा व फूल सजाकर लाती हैं | सोभाग्यवती स्त्रिया अखंड सौभाग्य के लिए , कंवारी कन्याये योग्य वर पाने की इच्छा में ईशर गणगौर की बड़ी श्रद्धा से पूजन करती हैं | विवाहित लडकियां ‘ ब्यावले वर्ष ‘ [ विवाह वाले वर्ष ] की गणगौर सभी कन्याओं के साथ धूम धाम के साथ सबसे पहले ईशर – गणगौर का पूजन करती हैं | प्रात: पूजन करती हैं सायंकाल पानी पिलाती हैं बिन्दोरे खिलाती हैं खूब नाच गान करती हैं | छोटी कन्याओ को दूल्हा – दुल्हन बनाती हैं |
सौलह्वे दिन शुभ वार हुआ तो उसी दिन नहीं तो अगले दिन तालाब में और जहाँ तालाब नही हो वहाँ कुए में ससमारोह ढोल नगाड़ों के साथ मंगल गीत गाते हुए ईशर गणगौर की प्रतिमा का विसर्जन करती हैं |
स्त्रियों के ‘ गणगौर ‘त्यौहार के गीत अपनी अलग ही विशेषता रखते हैं | उनमें भगवती गौरीं की प्रार्थना के साथ वसन्त के मास का अनुराग भी झलकता हैं | जब सौभग्यवती स्त्रिया , कन्याये पूजन करने जाती हैं तो किवाड़ी [ दरवाजा ] खोलने की प्रार्थना माता गणगौर से करती हैं |
माँ अम्बे जी की आरती यहाँ से पढ़े
गणगौर पूजन के गीत
प्रार्थना
गौरि ए गणगौरी माता ! खोल किवाड़ी ‘
बाहर उबी थारी पुजनवाली |
पूजो ए पूजाओ बाई , काई – काई ! मांगों ?
अन्न मांगों , धन मांगों , लाछ मांगों , लछमी ||
जलहर जामी बाबल माँगा रातादेई माई |
कान कुंवर सो बीरों माँगा राई सी भोजाई
ऊंट चढ्यो बहणेंई माँगा चुडला वाली बहणल ||
गणगौर पूजन का गीत
गौर – गौर गणपति ईसर पूजे पार्वती
पार्वती का आला गीला , गौर का सोना का टिका ,
टिका दे , टमका दे , राजा रानी बरत करे ,
करता करता , आस आयो वास आयो ,
खेरो खांडो लाडू लायो ,
लाडू ले बीरा न दियो ,बीरो म्हाने चुनड दी
चुनड को में बरत करयो
सन मन सोला , ईसर गोरजा ,
दोनु जौड़ा , जोर ज्वार
रानी पूजे राज में , मैं पूजा सुहाग में ,
रानी को राज घटतो जाई , म्हाखो सुहाग बढतों जाय ,
किडी किडी कीड़ो ल्याय , किडी थारी जात दे ,
जात दे , गुजरात दे , गुजरात्या को पानी
दे दे थम्बा तानी , ताणी का सिघडा, बारी का बुजारा
म्हारो भाई एम्ल्यो खेम्ल्यो ,
सेर सिंघाड़ा ल्यो , पेफ का फूल ल्यो ,
सूरज जी को डोरों ल्यो , सोना को कचोलो ल्यो
गणगौर पूज ल्यो |
सोलह बार गणगौर पूजने के बाद पाटे धोने का गीत गाते हैं |
पाटा धोने का गीत
पाटो धोय पाटो धोय , बीरा की बहन पाटो धो ,
पाटा ऊपर पिलो पान , महे जास्या बीरा की जान ,
जान जास्या , पान खास्या , बीरा न परनार ल्यास्या ,
अली गली में साँप जाय , भाभी थारो बाप जाय ,
अली गली गाय जाय , भाभी तेरी माय जाये ,
दूध में डोरों , म्हारो भाई गोरो ,
खाट पर खाजा , म्हारो भाई राजा ,
थाली में जीरो म्हारो भाई हीरो ,
थाली में हैं , पताशा बीरा करे तमाशा
ए खेले नंदी बैल , ओ पानी कठे जासी राज ,
आधो जासी अली गली ,आधो ईसर न्हासी राज ,
ईसर जी तो न्हाय लिया , गौर बाई न्हासी राज ,
गौरा बाई रे बेटो जायो , भुवा बधाई ल्याई राज ,
अरदा तानो परदा तानो , बंदरवाल बंधाओ राज ,
सार की सुई पाट का धागा , भुआ बाई के कारने भतीजा रहगया नागा ,
नागा नागा काई करो और सिवास्या बागा ,
ओडा खोडो का गीत
ओडो छे खोड़ो छे घुघराए , रानियारे माथे मोर ,
ईसर दास जी , गौरा छे घुघराए रानियारे माथे मोर ….
[ इसी प्रकार पुरे परिवार के सदस्यों का नाम ले ]
इसी के साथ आरत्या भी करे |
[ एक बड़े दिये में एक कोढ़ी , सुपारी ,चांदी की अगुठी और एक रुपया डाल कर उसमे थौड़ा पानी डाल कर लोटे के ऊपर रख कर आरती गाये |
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी
म्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी
गणगौर पूजन करने के बाद गणगौर माता की कहानी सुनना चाहिए |
गणगौर माता की कहानी [ जनश्रुति पर आधारित |
राजा के बोया जौ – चना , माली ने बोई दूब , राजा का जौ – चना बढ़ता जाय माली की दूब घटती जाये | एक दिन माली बगीचे की घास में जाकर कम्बल ओढ़ कर छुप गया | छोरिया जब दूब लेने आई , दूब तोड़ कर जाने लगी तो माली ने उनसे उनके हार , डोरे खोस लिए | छोरिया बोली , क्यों तो हार खोसे , क्यों डोरे खोसे , जब सोलह दिन की गणगौर पूरी हो जायेगी तब हम पुजापा [ पूजा का सामान ] दे जायेंगे |
सोलह दिन पुरे हुए तो छोरिया आई पुजापा देने और उसकी माँ से बोली तेरा बेटा कहा गया | माँ बोली वो तो गाय चराने गयो हैं , छोरिया ने कहा यह पुजापा कहा रखे तो माँ ने कहा , ओबरी गली में रख दो | बेटो आयो गाय चराकर , और माँ से बोल्यो छोरिया आई थी ,माँ बोली आई थी , पुजापा लाई थी |
हा बेटा लाई थी ओबरी गली में रख्यो हैं | ओबरी ने एक लात मारी , दो लात मारी पर ओबरी नहिं खुली | बेटे ने माँ को आवाज लगाई और बोल्यो माँ ओबरी तो नही खुले तो माँ बोली बेटा ओबरी नही खुले तो पराई जाई को कैसे ढाबेगा [ रखेगा ] , माँ पराई जाई तो ढाब लूँगा पर ओबरी नही खुले | माँ ने आकर गणगौर माता के नाम का रोली , मोली , काजल का छीटा लगाया और ओबरी खुल गई | ओबरी में ईशर गणगौर बैठे ,हीरे मोती ज्वारात के भंडार भरिये पड़े |
हे गणगौर माता ! जैसे माली के बेटे को ठुठी वैसे सबको ठुठना , कहता ने , सुनता ने ,हुंकारा भरता ने , म्हारा सारा परिवार ने |
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