हमारे देश में तो  लोकगीतों का अनमोल खजाना हैं | और इन गीतों का प्रचार प्रसार करने की बहुत आवश्यकता हैं |ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इन लोकगीतों के माध्यम से अपनी लोक संस्कृति से परिचित हो सके | लोकगीत – संगीत , आनन्द , मनोरंजन के साथ साथ हमारी संस्कृति का भी प्रतीक हैं |

शादी विवाह में भाई जब भात [ मायरा ] देने आते हैं , तो भात के अवसर पर गीत गाये जाते हैं  बहुत प्रचलित भात गीत जो हर जगह , हर क्षेत्र में गाये जाते हैं | देखिये यहाँ पांच गीत एक साथ हैं | राजस्थान में मांगलिक अवसरों पर गाये जाने वाले प्रचलित गीत यहा प्रस्तुत हैं |

 बत्तीसी पर गाये जाने वाले गीत

लाडू सांदूली मगद का बीरो जी नूतन आई रे झुलरिया

पहली नूतूली दादासा पाछे दादयां हमारी रे झुलरिया

नूतो झेलूली मान से ……

पहली नूतूली बाबासा पछे मायं हमारी रे झुलरिया

 पहली नूतूली काकासा पछे काक्यां हमारी रे झुलरिया

 पहली नूतूली बीरासा पछे भावज हमारी रे झुलरिया

नूतो झेलूली मान से ……

पहली नूतूली नानोसा पछे नानीजी हमारी रे झुलरिया

 पहली नूतूली मामोसा पछे मामीजी हमारी रे झुलरिया

 पहली नूतूली मासोसा पछे मासी हमारी रे झुलरिया

नूतो झेलूली मान से …..

 

 

 

गीत माहेरा बीरा 2

 

म्हारी छाव भरी है सैयाँ नारेला

आज बत्तीसी म्हारा बाबोसा सा रे नूतिया ,

म्हारी सैयां ये जामण जायो बीरो कद आसी ।

म्हारा बाबोसा से मिलता हिवड़ो उजट्यो ।

म्हारी मायड़ से मिलता म्हारा नैणा रि झड़ लाग्या ।

म्हारी सैयाँ ये जामण जायो बीरो कद आसी ।

म्हारी छाव भरी है सैयाँ नारेला

आज बत्तीसी म्हारा काकोसा सा रे नूतिया ,

म्हारी सैयां ये जामण जायो बीरो कद आसी ।

म्हारा काकोसा से मिलता हिवड़ो उजट्यो ।

म्हारी काक्या से मिलता म्हारा नैणा रि झड़ लाग्या ।

म्हारी सैयाँ ये जामण  जायो बीरो कद आसी ।

म्हारी छाव भरी है सैयाँ नारेला

आज बत्तीसी म्हारा बिरोसा सा रे नूतिया ,

म्हारी सैयां ये जामण जायो बीरो कद आसी ।

म्हारा बिरोसा से मिलता हिवड़ो उजट्यो ।

म्हारी भोजाया से मिलता म्हारा नैणा रि झड़ लाग्या ।

म्हारी सैयाँ ये जामण जायो बीरो कद आसी ।

 

 

बीरा 3

सात सुपारी सात गिन्दोड़ा बीरो नूतण धण गई जी ।

 रोज दरवाजा आवो म्हारा बीरासा पंचा संग झेलो बतीसी ।

 बेगो आजे मायरो म जी ।

म्हारो तो आबो न होव बाई म्हारे घर खेती बोवणी जी।

म्हारा बीरासा हाली रखादयू दोय चार, हाली दोय बालदी जी ।

म्हारो तो आबो होव ये बाई म्हार घर महल माल्या बण्या जी।

म्हारा बीरासा महल चिणादयू दो साला दो ओवरां जी ।

म्हारो तो आबो ण होव ये बाई म्हार घर टाबर रोवणा जी ।

म्हारा बीरासा रे भैंस बधायूँ एक भूरी एक दुधारू जी ।

म्हारो तो आबो होव ये बाई म्हार घर नार भोली जी।

म्हारा बीरासा ने दोय परणादयूं एक गोरी एक सांवली जी।

म्हारो तो आबो न होव  ये बाई म्हार घर रुपया कोयन जी।

खुशी पड़े तो आवो म्हारा बीरासा भाणेजा कुवारा न रहेजी।

बीरा – 3

 

 

बाबासा रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली जी।

 म्हारे ये बाई जलमी छ धीय , काकासा से बेटो झेलसी जी।

 काकासा रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली जी।

म्हारे ये बाई जल्म्यो छ पूत  , भुवासा रि बेटो झेलसी जी।

भुवासा रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली जी।

 म्हारे ये बाई बिणज रो काम  , बेनड को बेटो झेलसी जी।

बेणड रा बेटा बत्तीसी रे झेल बाई घर विरद उतावली जी।

 म्हारे ये बाई खेती रो काम  , थारो जामन जायो बीरों झेलसी |

कद को ये बाई जोऊ थारी बाँट , म्हारी माँ की जाई आवसी |

 बाई छुट्ला सब काम , बाई घर विरद उतावली जी |

बाई घर विरद उतावली जी। बाई घर विरद उतावली जी।

 

बीरा 4

 

झिरमिर बीरा बरसेलो मेह झिरमिर बीरा बरसेलो मेह

 ओ नानी सी बूंद सुहावनी जी………

गाड़ौ अटक्यो बालूड़ा री रेत में बैल रा अटक्या पांवल्या जी

 बैठे म्हारो बीरो गाड़ी रे मांय तो भतीजा भावज साथ जी

 उभी धण ओवरिया रे मांय देवरिया मोसा बोलिया जी

 करती ये भावज बीरा गुमान बीर भांत ले आवत्यो जी

 आई आई मनड़ा रे रीस तो ले चुकल्यो सरवर गई जी

सरवरिया री उली पेली पाल तो किण चढूं कि उतरु जी ।

 चुकल्यो मेल्यो सरवरिया री तीर तो देख बीरा आवतो जी ।

 आंबूल्या री ऊंची नीची डाल तो जिण पर बैठो सूवटो जी ।

 सुवटड़ा तुई धरम रो बीर तो देख जामण जायो आवतो जी ।

मनड़ा में बाई धीरज राख बादल उलटया जी बाप का जी ।

झीणी झीणी उड़े छ गुलाल बैला रा बाजे घुघरा जी ।

 बीरा सा री चिलके छ पाग भतीजा से चमके मोलियो जी ।

 भावजड़ी से चिलक्यो छ चीर काका बाबा दिखे आवता जी।

बाई रो हरख्यो छ जीव तो ले चुकल्यो घर आविया जी

बीरो आयो बीरो ढ़ोल गुड़ाय सुसराजी रे बारणे जी ।

उभी धण चानणियां रे मायं नणद बधाई मोरिवया जी ।

 आया ये भावज जामण जाया बीर तो उजला तो रांधी चांवल्याजी।

देशू बाई सा हिवड़ा से हार तो दाख चारली मूठ भरूं जी ।

 बैठो बीरा जाजम ढाल तो जाणे फूल गुलाब को जी ।

बैठो बीरो गैणां रो डाबो खोल तो जाणे हाट सुनार की जी ।

 खोलो बीरो चोवट पीट तो जाणे हाट बजाज की जी

 ल्यायो बीरो चुड़ला री जोड़ जाणे हाट खरीद की जी ।

 ल्यायो बीरो चून्दड़ल्याँ रा बेस जाणे हाट बजाज की जी ।

म्हारी बाई ने उरी ये बुलाय तो किसी ये करूं पहरावणी जी।

भरज्यो रे बीरा भाणज्या रो भात तो घणा उछाऊ सु भरज्यो मायरोजी

म्हारे सुसराजी रे पचरंग पाग सासूजी रे पीलो केसरयां जी 1

 देवर जेठाँ रे बीरा केसरिया पाग दोर जेठाण्याँ रे पोमचो जी।

 नणदोयां रे बीरा केसरियां पाग नणदल रे साड़ी साँवटी जी ।

 जंवायां रे बीरा टोपी जी ल्याय तो धीयड़ल्या बोरंग चून्दड़ी जी।

 कवरों का भरज्यो रे भात कुल बहू रे ल्याजो पोमचो जी ।

 केसरियाँ के पाँचुहि ठाँव तो बेनहड़ के ल्याजो बाला चुन्दड़ जी ।

केसरियां के बीरा सूट सिलाय में धण मोली चुन्दड़ी जी

 इतरो रे बीरा भरज्यो रे भात तो शोभा होसी बीर की जी ।

 बाई भाणजा रा भात तो अब मिलले ये बाई बीर से जी ।

मिलले ये बाई बाँयड़ली पसार जामण, को जायो कद मिलेली जी ।

 मिलले ये बाई हिवड़ा लगाय, तो राताँ दे मायड़ कद मिलेली जी ।

 मिलले ये बाई भुजा पसार तो चुन्दड़ वाली भावज कद मिलेली जी ।

बीरा 5

 

 

सासरियो रे आंगणिये में बाई हरख मनावे हैं

माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है ।

सासरियो रे आंगणिये में बाई हरख मनावे हैं

कुण देश सुं आया हो थे, कुण देश थे जावोला

 कुणजी रा बीरा हो थे, कुणजी रे घर जावोला ।

मथुरा शहर सूं आया हां म्हे. रूपनगर म्हे जावाला ।

 लाडली  बाई रा बीरा हाँ म्हें, लाडली  रे घर जावांला ।

 माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है |

माथे में बीरा मेमंद लायो, रखडी लायो साथ रे ।

 कानो में बीरा कुंडल लायो, गल मोतियन से हार रे ।

 बाई उभी हरख कर है, सगला ने बतलावे है ।

सासरियो रे आंगणिये में बाई हरख मनावे हैं

माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है ।

हाथों में बीरा हथफूल लायो, गजरा लाईयों साथ रे ।

पगल्या में म्हारे पायल लायो, बिछिया लायो साथ रे ।

आज बीरा म्हारे आंगण आया, बहन सुगन मनावे है ।

सासरियो रे आंगणिये में बाई हरख मनावे हैं

माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है ।

ओढ्न ण बीरो चुनड लाया , निरखे सकल परिवार जी

ओढ़ लाडली बहना प्यारी , शुभ घड़ी आई आज ,

बहन भाई क तिलक लगावे , भाई चुंदरी ओढाव हैं

माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है ।

सासरियो रे आंगणिये में बाई हरख मनावे हैं

माँ को जाया बीरो देखो, भात भरण ने आवे है ।

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