गोगा नवमी गोगा नवमी कथा
Goga Navmi Pujan Vidhi 2024 | Goga Navmi Katha
2024 गोगा नवमी का महत्त्व
27 अगस्त 2024 भाद्रपद गोगा नवमी
गोगा नवमी जन्माष्टमी के दुसरे दिन मनाई जाती हैं | हिन्दू धर्म में गोगा नवमी का विशेष महत्त्व हैं |
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी का त्यौहार मनाया जाता हैं , जिसे ” गोगा नवमी “ के नाम से जाना जाता हैं अश्वारोही योद्धा के रूप उनकी पूजा की जाती हैं | गोगाजी के स्थान पर सर्प की आकृति खुदी हुई होती हैं इनका स्थान खेजड़ी के पेड़ के नीचे होता हैं | गोगाजी को नागराज का अवतार माना जाता हैं | गोगाजी के बारे में कई सारी कहावते प्रचलित हैं |
‘ गाँव गाँव खेजड़ी गाँव गाँव गोगो ‘
गोगा नवमी पूजन विधि 2024
गोगा नवमी के दिन कुम्हार अश्व पर सवार गोगाजी की मूर्ति बनाकर घर घर ले जाते हैं |
जहाँ उनकी पूजा रोली , मोली , अक्षत , नारियल से होती हैं |
रक्षाबन्धन पर बाँधी गई राखियाँ खोलकर गोगा जी के चरणों में अर्पित की जाती हैं |
खीर , लापसी , पुड़ी – पुए , चूरमे का भोग लगाया जाता हैं |
स्त्रियाँ घर की दीवारों पर सर्पाकार आकृतियां बनाकर रोली , अक्षत से पूजा करती हैं |
और सामूहिक गीत गाती हैं |
ऐसी मान्यता हैं की यदि किसी के घर पर सर्प निकल जाये तो गोगाजी को कच्चे दूध का छिटा लगा देते हैं , जिससे सर्प बिना हानि पहुचाये चला जाता हैं , जिस घर में गोगा जी की पूजा होती हैं उस घर के लोगो को सर्प नहीं काटता गोगाजी पुरे परिवार की रक्षा करते हैं | गोगाजी में लोगो अत्यधिक हैं |
राजस्थान में गोगाजी का प्रमुख स्थान गोगामेडी हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित हैं तथा दूसरा स्थान ददेवरा चुरू जिले में हैं | इन दोनों स्थानों में गोगा नवमी को विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं | राजस्थन में तो स्थान स्थान पर गोगाजी के स्थान हैं तथा मेले का आयोजन व गोगाजी का पूजन अर्चन किया जाता हैं | ‘ गोगा पीर ‘ व ‘ जाहिर वीर ‘के जयकारो के साथ इनके गुरु गोरख नाथ जी की जय जयकार होती हैं | इनकी पूजा आराधना सभी धर्मो के लोग करते हैं |
गोगा नवमी कथा
राजस्थान के लोकदेवता गोगाजी का जन्म गुरु गोरखनाथ के वरदान से हुआ था | गोगाजी की माँ बाछल देवी नि: सन्तान थी | सन्तान प्राप्ति के सभी यत्न करने पर भी सन्तान सुख़ नहीं मिला | गुरु गोरखनाथ ‘ गोगामेडी ‘ के टीले पर तपस्या कर रहे थे |
बाछल देवी उनकी शरण में गई तथा गुरु गोरखनाथजी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गूगल नामक फल प्रसाद रूप में दिया | प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और नवे महीने पुत्र प्राप्ति हुई | यही बालक गोगाजी के नाम से ऐश प्रसिद्ध हुआ | गूगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा |
|| जय बोलो गोगा जी की जय ||
https://hindusfestivals.com/bhadrpad-chaturthi-bahula-chaturthi-vrat-vidhi-vrat-katha2022 /
गोगा नवमी पौराणिक कथा कहानी 2023
अन्य प्रमुख व्रत कथाये: –
अन्य व्रत त्यौहार :-
हरियाली तीज [ छोटी तीज ] व्रत कथा , पूजन विधि
भाद्रपद चतुर्थी व्रत , पूजन विधि , व्रत कथा
ऊबछट व्रत कथा , व्रत पूजन विधि , उद्यापन विधि
देव अमावस्या , हरियाली अमावस्या
छोटी तीज , हरियाली तीज व्रत , व्रत कथा
रक्षाबन्धन शुभ मुहूर्त , पूजा विधि 15 अगस्त 2019
कजली तीज व्रत विधि व्रत कथा 18 अगस्त 2019
हलधर षष्ठी व्रत विधि व्रत कथा [ उबछठ ]
जन्माष्टमी व्रत विधि , व्रत कथा
सोलह सोमवार व्रत कथा व्रत विधि
मंगला गौरी व्रत विधि , व्रत कथा
स्कन्द षष्टि व्रत कथा , पूजन विधि , महत्त्व
ललिता षष्टि व्रत पूजन विधि महत्त्व
कोकिला व्रत विधि , कथा , महत्त्व
यह भी पढ़े :-
भगवान कृष्ण के विभिन्न मन्दिरों के दर्शन