अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त चन्द्र अर्ध्य समय कथा कहानी 2023

adhik maas sankashti chturthi | vibhuvana sankashti chaturthi |

विभुवन अधिकमास संकष्टी चतुर्थी व्रत हर तीन वर्ष में एक बार आता हैं | यह व्रत अधिकमास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत किया जाता हैं | इस व्रत में भगवान गणेश तथा चौथ माता का पूजन करकथा सुनकर चन्द्रमा को अर्ध्य प्रदान करते हैं | विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कब हैं ? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या हैं ? चन्दमा के उदय होने का समय क्या हैं ?  व्रत की कथा कोनसी हैं ? आइये जानते हैं |

इस वर्ष adhik maas sankashti chturthi | vibhuvana sankashti chaturthi | विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त चन्द्र अर्ध्य समय कथा कहानी 2023 व्रत 4 अगस्त शुक्रवार 2023 को हैं |

चन्द्रोदय समय —- रात्रि रात्रि 9 बजकर 23 मिनट 

 

 

 विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा कहानी 2023

एक समय  माता पार्वती तथा श्री गणेश जी महाराज विराजमान थे  | तब माँ पार्वती ने गणेश से अधिक मास विभुवन  चतुर्थी व्रत का महात्म्य गणेशजी से पूछा !  हे पुत्र ! अधिकमास  कृष्ण पक्ष में तुम्हारे विभुवन चतुर्थी को तुम्हारी पूजा कैसे करनी चाहिए ? सभी बारह महीनों की चतुर्थी तिथि के तुम अधिष्ठ्दाता हो | कलिकाल में इस व्रत की क्या महिमा हैं यह मुझसे कहो इसका क्या विधान हैं | 

 तब गणेश जी ने कहा कि हे सभी के मन की बात को जानने वाली माता आप अन्तर्यामी हैं आप सर्वज्ञता हैं  परन्तु मैं आपके आदेश से इस व्रत की महिमा को बतलाता हूँ | अधिकमास  चतुर्थी के दिन ‘विभुवन ’ नामक गणेश की पूजा करनी चाहिए। दिन भर निर्जल व्रत रखकर रात्रि में षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। ब्राह्मण भोजन के अनन्तर स्वयं व्रती को इस दिन पंचगव्य (गौ का गोबर, मूत्र, दूध, दही, घी) पान करके रहना चाहिए। यह व्रत संकट नाशक है। इस दिन शुद्ध घी के साथ बिजौरे, निम्बू का हवन करने से बाँझ स्त्रियां भी पुत्रवती होती हैं। हे माते  ! इस व्रत की महिमा बहुत विचित्र है , मैं उसे कह रहा हूँ। इस चतुर्थी तिथि के दिन मेरे नाम के  स्मरण मात्र से ही मनुष्य को सिद्धि मिलती है। इस व्रत की कथा इस प्रकार हैं – 

 

 

 

 

 

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