गणेश जी भगवान की कहानी 

विनायक जी की कहानी 

गणेश जी की कहानी एक ब्राह्मण ब्राह्मणी थे | उनके एक लड़का था | लड़का गणेश जी का परम भक्त था | दिन रात गणेशजी की सेवा में लगा रहता | घर का कोई काम नहीं करता | इससे ब्राह्मणी बहुत दुखी होती | और लडके को सारा दिन लडती कहती की घर का कोई काम धंधा कर | इस बात पर घर में रोज झगड़ा होता | लड़का बहुत दुखी हो गया और एक दिन गणेशजी भगवान का नाम लेकर घर से निकल गया |  और सोचने लगा आज तो में गणेशजी भगवान से मिलकर ही घर आऊंगा | लड़का जय गणेश जय गणेश बोलते बोलते बहुत दूर गहने जंगल में चला गया और जोर जोर से गणेशजी को पुकारने लगा |

 

 

 

 

लडके को डर भी लगने लग गया | अब जोर जोर से रोते रोते बोलने लगा जय गणेशजी की | जय गणेश जी की | तब गणेशजी का सिंहासन हिलने लगा रिद्धि सिद्धि बोली महाराज कोई भक्त सच्चे मन से आपको पुकार रका हैं आपको उसकी रक्षा करनी चाहिए | तब गणेशजी भगवान बूढ़े ब्राह्मण का वेश धारण कर बालक के पास आये और बोले लडके क्यों रो रहे हो तब बालक बोला आज में गणेश जी से मिलने घर से निकला चलते चलते इतना दूर आ गया पर गणेशजी भगवान नहीं मिले | आप बताओ गणेशजी भगवान कहा मिलेगे | तब ब्राह्मण वेश धारी गणेश जी बोले बालक घर चला जा नहीं तो तुझे शेर चीते भालू खा जायेगे पर बालक लड़का नही माना बोला आज कुछ भी हो जाये आज तो में गणेश जी से मिलकर ही जाऊँगा | गणेशजी भगवान लडके पर बहुत प्रसन्न हुए |

 

 

 

और लडके को दर्शन दे दिए |  लड़का गणेशजी को देखकर बहुत खुश हो गया | तब गणेशजी बोले लडके मांगन चाहे सो तू मांग ले में तुझे सब दे दूंगा | तब लडके ने थौड़ा विचार किया और बोला – घोडा और लगाम मांगू , पुन्चो गजराज मांगू ,महल – माल्या मांगू , पुरसण वाली ऐसी मांगू जैसे फूल गुलाब को गणेशजी भगवान ने ततास्तु खा और अंतर्ध्यान हो गये |

लड़का घर आया तो देखा झोपडी की जगह महल बन गया | बाहर घोडा खड़ा | अंदर गया तो पीढ़े दुल्हन बैठी | लडके की माँ बोली तेरे गणेशजी का तो बहुत पूण्य प्रताप हुआ हैं आज से हम सब गणेश जी किपुजा अर्चना करेंगे | सब बहुत खुश हुए | हे भगवान जैसा दलके के अन्न धन के भंडार भरे वैसे सबके भरना |

जय गणेश जी भगवान की ||

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