विष्णु गायत्री मन्त्र

नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात |

इस मन्त्र का मन , कर्म , वचन से पवित्र होकर शुद्ध चित से स्मरण करने एक , तीन , इक्कीस अथवा एक सौ आठ बार जप करने से सभी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो जाते हैं | इस सर्वसिद्धिप्रदायक मन्त्र का जप करने से पारिवारिक क्लेश का नाश होता हैं |  प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती हैं |भगवान विष्णु के लोक में स्थान प्राप्त होता हैं |

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