श्री गणेश जी भगवान की कहानी
श्री गणेश जी भगवान की कहानी विष्णु भगवान लक्ष्मी जी का शुभ विवाह होने लगा | समस्त देवी – देवता को बारात में जाने के लिए बुलाया गया तो गणेशजी भगवान को नहीं बुलाया सोचा अच्छे नही लगेगें | सुन्ड सुन्डयाला , दुन्द दुन्द्याला , छाजले से कान , मोटा मस्तक वाले हैं बारात में अच्छे नहीं लगेगें | उनको घर की रखवाली को छोड़ जाते हैं | समस्त देवताओ के साथ गाजे बाजे से बारात रवाना हो गई | नारद मुनि ने गणेशजी को भड़का दिया की आप अच्छे नही लगते इसलिए आपको लेकर नही गये | यह सुन गणेशजी ने अपने चूहों को भेजा , चूहों ने सारी धरती थोथी कर दी | धरती थोथी होते ही भगवान के रथ के पहिये धरती में धस गये | सब ने निकालने का प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली | थक कर खाती को बुलाया उसने आते हीरथ को निकलते हुए बोला जय बोलो गणेशजी भगवान की और रथ का पहिया निकल गया |
तब सब देवताओ ने पूछा गणेशजी को क्यों याद किया ? तब खाती बोला “ गणेश जी को सुमरे बिना कोई काम सिद्ध नही होता |” सब सोचने लगे हम तो गणेशजी को वही छोड़ आये | संदेस भेज गणेश जी को बुलवाया | सर्व प्रथम गणेशजी का रिद्धि सिद्धि से विवाह करवाया फिर श्री भगवान विष्णु जी का विवाह लक्ष्मी जी से करवाया | घटती हो पूरी करज्यो | कहता न , सुनता न म्हारा सारा परिवार पर अपनी कृपा रखना |
करवा चौथ की कहानी के बाद गणेशजी की कहानी सुने |
हें ! गणेशजी भगवान जैसे भगवान का कारज सिद्ध किया वैसा सबका करना |
|| जय गणेशजी भगवान की जय ||
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