एक मकरध्वज नाम के राजा थे ।राजा मकरध्वज बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे उनके शासन काल में प्रजा सुख पूर्वक जीवन यापन क्र रही थी | राजा सदैव अपनी प्रजा का अपनी सन्तान की भांति पालन पोषण करते थे । अतः उसके राज्य में प्रजा पूरी तरह सुखी ओर प्रसन्न थी प्रजा भी एक दुसरे का सहयोग करते हुए धार्मिक कार्यो में सलग्न रहती थी |।राजा मकरध्वज धर्मकर्म में सदैव ही तत्पर रहते थे | राजा पर मुनि यज्ञयवल्क्य का बड़ा स्नेह था। उनके ही आर्शीवाद से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई।
राज्य के अधिकतर कार्य भार उनका एक विश्वासपात्र मन्त्री चलाता था। मन्त्री का नाम धर्मपाल था। धर्मपाल के पांच पुत्र थे। सभी पुत्रों का विवाह हो चुका था। सबसे छोटे बेटे की बहू गणेशजी की भक्त थी और उनका पूजन किया करती थी। वह बारह महीनों के चतुर्थी व्रत किया करती थी |परन्तु धर्मपाल की पत्नी नास्तिक थी उसे धार्मिक कार्यों में जरा भी रूचि नहीं थी | उसको बहू की गणेश-भक्ति जरा भी अच्छी नहीं लगती थी। वह सदैव ही बहु की आराधना से भयभीत रहती थी |सास ने बहू द्वारा गणेश-पूजा को बंद कर देने के लिए अनेक उपाय किये, पर कोई उपाय सफल नहीं हुआ। बहूँ को भगवान ग्नर्श्जी पर पूरी श्रद्ध एवं विस्वास था |अतः वह विश्वास के साथ उनकी पूजा करती रही।
गणेशजी भगवान बड़े विचित्र हैं उन्होंने अपने भक्त के दुःख को दूर करने के लिए सास को सबक सिखाने का सोचा | गणेश जी भगवान ने सोचा की यदि मैंने इसका कष्ट दूर नहीं किया तो इस संसार में मुझे कौन मानेगा | गणेश जी भगवान ने अपनी लीला से राजा के पुत्र को गायब कर दिया। फिर क्या था, सारी नगरी में हाहाकार मच गया । राजा के बेटे को गायब करने का सन्देह सास पर सभी को संदेह होने लगा । सास व्याकुल होकर विलाप करने लगी तब बहू ने सास से विनती की कहा – मांजी आप सभी का क्षण में संकट हरने वाले विध्न हरता गणेशजी का पूजन कीजिये, वे विध्नविनाशक हैं, आपका दुःख दूरगे वे अपने भक्तों पर सदैव ही अपनी कृपा बनाये रखते हैं ।
सास के पास इस संकट से उबरने का और कोई रास्ता नहीं था परिवार जनों ने भी सास से दरी बना ली थी इस लिए सास ने बहूँ के साथ गणेश-पूजन किया। विध्न हर्ता गणपति ने प्रसन्न होकर राज के पुत्र को प्रकट किया । यह सब देख कर सासबहूँ से प्रसन्न रहने लगी तथा बहूँ के साथ भगवान गणेश की परम् भक्त बन गई | सारि नगरी में कहलवा दिया सब कोई चौथ व्रत करना विधि पूर्वक पूजन करना | इससे सभी मनोकामनाए पूर्ण होती हैं घर में अन्न , धन ,सुख सम्पति का वास होता हैं |
जय बोलो विध्न हर्ता गणेशजी भगवान की जय हो ||
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