नमो  देव्यै  महामुर्त्ये  सर्वमुर्त्ये  नमो  नम: |

शिवाये  सर्वमागंल्ये  विष्णु माये च ते नम: ||

त्वमेव श्रद्धा बुदधिस्तवं मेधा विधा शिवंकरी  |

शांतिर्व़ाणी त्व्मेवासी नारायणी नमो नम: ||

Navraatri Shubh Muhurat 2022

शारदीय नवरात्रारम्भ का समय 2022

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 26 सितम्बर 2022 को शारदीय नवरात्र का आरम्भ हो रहा है। देवीपुराण में द्विस्वभाव लग्न में  प्रात: काल में भगवती माँ दुर्गा का आहवान पूजन एवं स्थापना करने का विधान हैं।

घट स्थापना शुभ श्रेष्ठ चौघड़िया मुर्हुत प्रातः 06 बजकर 21 से प्रातः 07 बजकर 50 मिनट तक शुभ का चौघडिया प्रातः 09 बजकर 19 मिनट से प्रात: 10 बजकर 49 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक ।

द्विस्वभाव प्रात: 06 बजकर 21 मिनट से प्रातकाल

7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

महामंत्र

 या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 नवरात्रि घट स्थापना विधि

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि के व्रत 9  दिन तक रहते है | प्रतिपदा के दिन प्रात: स्नान आदि करके संकल्प करे | उत्तर पूर्व दिशा में  घट स्थापना करे | घट स्थापना शुभ मुहूर्त में करे | एक पाटे पर लाल व सफेद वस्त्र बिछाये | सर्व प्रथम गणेश जी का ध्यान करे |  मिट्टी में पानी डालकर गेहु या जों  बोंये | इस पर कलश स्थापित करे | कलश में हल्दी की गाठं , सुपारी , रुपया , दूर्वा  रख्रे | एक नारियल को लाल वस्त्र में बांधकर उसे कलश पर स्थापित करे  | ” माँ दुर्गा  ” की प्रतिमा स्थापित कर रोली,  मोली , अक्षत , चुनरी , सिंदूर , फूल माला , सुगन्धित  पुष्प  से विधि पूर्वक  उनका पूजन करते है |

प्रात: व संध्या काल  नित्य माँ को नवैध्य चढाये ,  परिवार सहित माँ की आरती गाये , माँ के समक्ष अखंड दीप जलाये |

महा अष्टमी के दिन माँ के समक्ष ज्योत जलाकर लापसी , चावल , हलवा पूरी का भोग लगा कर कन्या पूजन करे दक्षिणा देवे |

माँ शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चन्द्र घंटा , कुष्मांडा , स्कन्द माता , कात्यायनी , कालरात्रि , महागौरी और सिद्धि दात्री माँ के नौ अलग अलग रूप हैं |

पराशक्ति माँ भगवती श्रीदुर्गा का ध्यान कर “ दुर्गा सप्तशती “ का पाठ स्वयं करे या किसी विद्वान् पंडित से करवा सकते है ध्यान रहे कि नवरात्रि प्रारम्भ होने से लेकर समाप्ति तक माँ के समक्ष अखंड दीप जलाये रखना चाहिए |

भगवान राम का चित्र स्थापित कर रामायण { नव पारायण पाठ }किया जाता हैं प्रत्येक पाठ के पश्चात विश्राम होता है इस प्रकार रामायण के पाठ 9 दिन में पुरे होते है | इसके पश्चात कन्या पूजन कर उन्हें दक्षिणा देवे |

माँ का ध्यान करे

दुर्गति नाशिनी  दुर्गा जय जय , काल – विनाशिनी  काली जय जय |

उमा – रमा ब्रहमाणी  जय जय , राधा – सीता – रुक्मणी जय जय ||

साम्ब सदाशिव , साम्ब सदाशिव  ,साम्ब सदाशिव , जय शंकर |

हर हर शंकर दुःखहर   सुखकर ,अघ – तम – हर हर हर शंकर ||

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे | हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

जय – जय दुर्गा , जय माँ तारा | जय गणेश जय शुभ – आगारा ||

जयति  शिवा  शिव  जानकीराम  |    गोरी शंकर             सीताराम ||

जय  रघुनन्दन  जय  सियाराम   | वज्र  गोपी  प्रिय  राधेश्याम   |

रघुपति राघव राजा राम  |  पतित पावन सीताराम ||

|| जय माता दी ||

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