बन्नी के विदाई का गीत

 

चाल की तू चंचल बनडी बोली की तु प्यारी रे, कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे, माताजी की डब डब आंखियाँ, झर झर नीर बहावे रे, पिताजी की प्यारी आंखियाँ, आशिष यूं देव  रे, छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे,

 

माताजी ने दूध से पाला, झुली पिता की बाहों में, सोच समझकर चलना ए बेटी, ससुराल की टेढ़ी राहो में, चाल की तू चंचल बनडी बोली की तु प्यारी रे, कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे,

 

हिचकी ले ले बहना रोवे, लुकछिप रोवे भाई रे, कोई बतादो ऐ लोगो ये, कैसी दुनियादारी रे, चाल की तू चंचल बनडी बोली की तु प्यारी रे, कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे,

 

ननंद बाई से बर्ताव करो तो, याद बहन को रखना तुम, देवर को तुम भैय्या समझना उसको पढ़ाना लिखाना तुम, छोड पति की सेवा करना

चाल की तू चंचल बनडी बोली की तु प्यारी रे, कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे,

सास ससुर की सेवा करना, प्यार ही तेरा गहना, पीकर कड़वे घूंट भी बेटी, सबसे हिलमिल के रहना, चाल की तू चंचल बनडी बोली की तु प्यारी रे, कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे,

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