न्यायमदे श्याममदे की कहानी

 

एक साहुकारनी के न्यायमदे श्याममदे की कहानी कहने कहने को नियम हो । साहूकारनी के रोजाना कहानी सुनने से उसकी बेटी भी न्यायमदे श्याममदे कहानी सुनना सीख गई । बेटी ने अपनी मां से कहा मां में भी इस कहानी को सुनने का नियम लूंगी । तो मां बोली बेटा ससुराल में इसको कैसे निभायेगी । पर बेटी नहीं मानी और कहानी सुनाने का नियम ले लिया । मां बाप ने बेटी की सगाई के लिए घर देखने लग गए और सभी से कहते कि ऐसा घर परिवार हो चाहे गरीब हो पर कहानी सुनने का नियम इसका पूरा हो जाये । एक गरीब ब्राह्मण था उसके बहुत गुणवान लड़का था। लड़के की मां बोली मेरे घर में ज्यादा धन नहीं है पर मैं अपनी बहू के नितनेम पूरे करवायेंगे।

साहूकार साहूकारनी ने अपनी बेटी का ब्याह उस लड़के से कर दिया ।

जब लड़की ससुराल गई तो उसको किसी ने नहीं कहा की कहानी सुना दे और उसने भी शरमाते हुए किसी को नहीं कहा । सुबह जल्दी उठती और घर का सारा काम करती और कहानी कहती जाती ।

ससुर जी ने सासुजी से पूछा की बहू कैसी है कामकाज तो करती है ना । सासु ने कहा काम तो सारा करती है बहुत अच्छी भी है पर पता नहीं क्या बड़बड़ाती रहती है ।

तो ससुर जी ने सासु जी को समझाया की बहू के आते ही तूने सारा काम छोड़ दिया तो उसकी काम में मदद किया कर ।

दूसरे दिन सुबह उठकर सासुजी घर का काम करने लगी तो बहू बोली की सासू जी आप काम क्यों कर रहे हो । इससे तो मुझे पाप लगेगा। सासू जी बोली कि तू काम करते-करते बड़बड़ाती रहती है तो क्या करूं मैं भी काम करूं । तब बहू ने समझाया की सासू जी मेरेन्यायमदे श्याममदे की कहानी सुनाने का नियम है । तब सासू जी बोली कि तू कहानी सुनना मैं हूंकारा भरूंगी । फिर बड़े प्रेम से न्यायमदे श्याममदे की कहानी बहू ने कहीं और सासू जी ने प्रेम से सुनी । कुछ ही दिनों में उनके घर में अनजान के भंडार भर गए । एक पड़ोसन यह सब देखकर राजा जी के पास गई और बोली राजा जी हमारे पड़ोस में ऐसी सुंदर बहू गुणवान बहू आई है उसके आने से साहूकार के घर में अन्न धन के भंडार भर गए । ऐसी बहू तो आपके महल में शोभा देती है । यह सुन राजा ने साहूकार के घर कलवा दिया कि आज से 8 दिन तक रोजाना तेरी बहू को मेरे महल में भेजना ।

सास ससुर चिंता में पड़ गए तब बहू बोली कि इसमें चिंता की क्या बात है। साहूकार ने राजा जी को जाकर कह दिया कि 8 दिन तक मेरी बहू आ जाएगी । साहूकार के आते ही राजा जी के शरीर में जलन लगी कोड हो गया ।

कब राजा ने बड़े-बड़े पंडितों को बुलाया और पूछा कि यह मेरे क्या हो गया । तब महात्मा में बताया कि पतिव्रता स्त्री पर बुरी नजर डालने की वजह से आपको कोड रोग हो गया है ।

यदि वह न्यायमदे श्याममदे की कहानी सुना हुऐ जल से आपको निलय तो आप ठीक हो जाएंगे ।

राजा जी ने कहानी सुने हुए जल से ना आए वह ठीक हो गए उन्होंने साहूकार की बहू को अपनी धर्म की बेटी बना लिया और उसे बहुत सारे गाने कपड़े दिए । राजाजी ने सारी नगरी में कलवा दिया कि कोई भी बहन बेटी पर बुरी नजर नहीं डाले और न्यायमदे श्याममदे की कहानी सुने । हे भगवान जैसा फल सबका की बहू को दिया वैसा सबको देना कहता ने सुनता ने मारा सारा परिवार ने ।

ही न्यायमदे श्याममदे , जगह डे जमीन दे जगह का रखवाला दे कौड़िया ने किया दे निर्धनिया ने माया दे में पुत्री को पुत्र दे दूध कढावन दे , भूत पालने में दे हाथी हंस बंदी सोना मोतियों का तर दे खूंटी हर साए भरतार दे मुक्ति का मार्ग दे । जय बोलो न्यायमदे श्याममदे की ।

इस कहानी के बाद गणेश जी की

कहानी सुने

 

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