karva chouth vrat ki pouranik katha | करवा चौथ व्रत की पौराणिक कथा 3
एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री एक नगर में रहती थी |एक दिन उसका पतिपास ही के सरोवर में स्नान करने गया | उस सरोवर में एक मगरमच्छ रहता था जब उसका पति स्नान कर रहा था तब मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया | उसका पति करवा , करवा चिल्ला कर मदद के लिए अपनी पत्नी को पुकारने लगा | पत्नी आवाज सुनकर दौड़ी दौड़ी आई और अपने तप के बल से मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया | और यमराज के पास पहुची और बोली-
हे यम देवता इस मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया हैं अब आप ही इस मगरमच्छ को इस अपराध की सजा दीजिये | तब यमराज बोले हे देवी अभी इस मगरमच्छ की आयु शेष हैं अत : में इसे अभी नहीं मार सकता | तब करवा को अत्यधिक क्रोध आया और यमराज देवता आप यदि इस मगरमच्छ को सजा नहीं देंगे तो में आपको श्राप दे दूंगी |करवा के ऐसे वचन सुनकर करवा की पतिव्रता शक्ति को जानकर भयभीय हो गये और करवा के साथ आकर मगरमच्छ को यमलोक में भेज दिया और उसके पति को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया | करवा और उसके पति ने अनेक वर्षो तक सांसारिक जीवन का सुख भोग कर अंत में स्वर्ग में स्थान प्राप्त किया | जो कोई भी स्त्री पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए विधिविधान से करवा चौथ का व्रत क्र करवा की कहानी सुनेगी उसके पति को दीर्घायु तथा सांसारिक जीवन का सुख प्राप्त होगा |
जय बोलो चौथ माता की जय |
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