द्रोपदी का पांचों पांडवों के साथ विवाह होने के पीछे क्या कारण था ? क्या जुडी थी कोई पूर्व जन्म की कथा आइए जानते हैं|
पूर्व जन्म में द्रोपदी एक तपोवन में किसी महात्मा मुनि की कन्या थी | सती , साध्वी एवं रूपवती होने पर भी उसे कोई योग्य पति की प्राप्ति नहीं हुई थी | तब उसने कठोर तपस्या कर भगवान शंकर को संतुष्ट किया और महादेव जी ने प्रसन्न होकर साक्षात प्रकट होकर उस मुनि कन्या से बोले – “ तुम मनोवांछित वर मांगो ”
उनके यूं कहने पर उस मुनि कन्या ने वरदायक महेश्वर से बार-बार कहां “ मैं सर्वगुण संपन्न पति चाहती हूं “
शिव ने प्रसन्न चित्त होकर उसे वर देते हुए कहा भद्रे ! “तुम्हारे पांच पति होंगे”
यह सुनकर उस मुनि कन्या ने महादेव जी को प्रसन्न करते हुए पुन: यह बात कही भगवान महादेव में आपसे एक ही गुणवान पति प्राप्त करना चाहती हूं |
तब देवादीदेव महादेव ने मन ही मन अत्यंत संतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए उससे यह शुभ वचन कहे – भद्रे !
तुमने पति दीजिए इस वाक्य को पाँच बार दुहराया है इसीलिए मैंने जो पहले कहा है वैसा ही होगा | तुम्हारा कल्याण हो
किंतु तुम्हें दूसरे जन्म में यह सब प्राप्त होगा |
दूसरे जन्म में वही मुन्नी कन्या राजा द्रुपद की पुत्री कृष्णा [ द्रोपदी ]के रूप में उत्पन्न हुई | इसीलिए नियति ने पहले ही कृष्णा [ द्रोपदी ]के जीवन में पांच पतियों की नियति तय कर दी थी |
इसीलिए कृष्णा [ द्रोपदी ] ने अपने ही कर्म से पांच पुरुषों की एक ही पत्नी नियत की गई है ब्रह्मा जी इसे देव स्वरूप पांडवों की पत्नी होने के लिए रचा है |