अमर सुहाग की कहानी
अमर सुहाग एक ब्राह्मण ब्राह्मणी थे उनके पांच बेटिया थी | पांचो बेटिया विधिविधान से देवाधिदेव महादेव व माँ पार्वती का विधिपूर्वक पूजन कर अमर सुहाग की कथा सुनती थी |पूजा के समय चोरो बेटिया दीपक जलाती तो पूजा पूर्ण होने तक जलता रहता | परन्तु पांचवी बेटी का दीपक कहानी सुनने से पहले ही बड़ा हो जाता | यह देखकर पांचवी बेटी को चिंता होने लगी | सभी बहनों का दीपक तो जलता हैं | मेरा दीपक बड़ा क्यों हो जाता हैं | एक दिन पांचवी बेटी ने घर जाकर माँ को सारी बात बताई तब माँ ने कहा बेटा इसमें चिंता की कोई बात नहीं हैं | कल से तू दीपक में घी अधिक डालना | बेटी ऐसा करने लगी | कुछ समय पश्चात ब्राह्मण ने पांचों बेटियों का विवाह कर दिया | चारों बेटियों के घर में अन्न धन के भंडार भरे थे परन्तु पांचवी बेटी की आर्थिक स्थति थौड़ी कमजोर थी | उसका पति जंगल से लकड़ी काट कर लाकर घर चलाता था | परन्तु पांचवी बेटी संतोषी व बहुत समझदार थी | कभी किसी से शिकायत नहीं करती थी | विवाह के बाद भी महादेव माँ पार्वती का पूजन करती थी | एक दिन उसका पति कम लकडिया लेकर आया तो उसने पूछा क्या हुआ आज लकड़ी कम लाये हो तो पति ने कहा आज मेरी तबियत खराब हैं मुझे बुखार हैं |
दुसरे दिन लडकी ने पति से कहा आज आपकी तबियत ठीक नही हैं आज में भी आपकी साथ चलूंगी | उसने सास ससुर से आज्ञा लेकर पति के साथ चल पड़ी |जंगल में पति की तबियत खराब हो गई | और पति की मृत्यु हो गई | जंगल में अकेली थी कोई मदद के लिए नहीं थी | पति का सिर गोद में रखकर विलाप करने लगी | रोते रोते शिव पार्वती जी को पुकारने लगी | हे महादेव हे माँ पार्वती मैंने सदैव आपका ध्यान पूजन किया हैं आपके सिवा मेरा कोई नहीं हैं में घर जाकर अपने बूढ़े सास ससुर को क्या कहूंगी | लडकी का विलाप और सच्ची भक्ति देखकर माँ पार्वती ने कहा हे प्राण नाथ इस निर्जन जंगल में हमें कौन पुकार रका हैं हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए | माँ पार्वती ने पूछा लडकी क्या हुआ हैं ? तुम क्यों रो रही हो | तब लडकी ने सारी बात बताई और मादेव जी पार्वती माता के चरण पकड़ लिए और विनती करने लगी | उसकी पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर उसके पति को जीवन दान दिया | और आशीर्वाद दिया की जो कोई भी सुहागन स्त्री श्रद्धा भक्ति से अमर सुहाग की शिव पूजन कर कथा सुनेगी वह सदैव अखण्ड सौभाग्यवती रहगी | उसके सुख सम्पति अन्न धन के भंडार सदैव भरे रहेंगे |
|| जय जय महादेव माँ पार्वती जी की ||
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