अहोई अष्टमी व्रत का महत्त्व

अहोई अष्टमी   october   2023    ] कार्तिक कृष्णा अष्टमी को अहोई माता का व्रत किया जाता हैं | इस व्रत को पहली संन्तान होने के पश्चात प्रारम्भ किया जाता हैं | जिस वार की दीवाली आती हैं उसी वार का अहोई अष्टमी व्रत आता हैं | सन्तान युक्त स्त्रीयों इस दिन व्रत रखती हैं |

सायंकाल को अष्ट कोष्ट्मी अहोई की पुतली रंग भरकर बनाये , उस पुतली के पास सेई तथा सेई के बच्चो के चित्र भी बनाए अथवा आजकल बाजार में उपलब्ध अहोई अष्टमी का चित्र भी लाकर दीवार पर लगा कर उसका पूजनं कर सूर्यास्त के पश्चात अहोई माता का पूजनं करने से पहले प्रथ्वी को शुद्ध कर चौकपूर कर एक लोटे में जल भर कर पते पर कलश की तरह रख कर चांदी की अहोई जिसे स्याहू भी कहते हैं उसमें चांदी के दाने बनवाले जिसे गले में पहन सके | अहोई माता की रोली , चावल , दूध व भात से पुजा करें | जल से भरे लोटे पर साठिया बना ले सात दाने गेहु लेकर अहोई माला लेकर कहानी सुनें | कहानी सुनने के बाद माला गले में पहन ले | जों बायना निकाले सासुजी को पावं लग कर दे देवें |

अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को किया जाता है| यह व्रत दिवाली से 8 दिन पहले मनाया जाता है इस वर्ष अहोई अष्टमी 17    october  2022     को है  आप यहाँ पे पढ़ सकते है व्रत विधि एवं अहोई माता की  कहानी

इसके बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर स्वयं भोजन करें | दीपावली के बाद कोई शुभ दिन देख कर अहोई को गले से उतार कर उसको गुड का भोग लगा कर जल के छीटे देकर अपनी तिजोरी में रख ले | हर साल जितनी सन्तान हो मोती डालती जाये और उसके बाद जितने बच्चो का विवाह करती जाये मोती डालते जाये | ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होकर सन्तान को दीर्घायु करके घर में नित नये मंगल करती हैं | उस दिन  दान पुण्य का विशेष महत्त्व हैं |आरती श्री अहोई माता | aarti-ahoi-mata-ki

 अहोई का उद्यापन – जिस स्त्री के पुत्र \ पुत्री हुआ हैं या पुत्र \ पुत्री का विवाह हुआ हैं तो उसे अहोई माता का उद्यापन करना चाहिए | एक थाल में चार – चार पुडिया रखकर उन पर मिठाई रखे | एक पिली साड़ी ब्लाउज { बैस } उस पर सामर्थ्य अनुसार रूपये रखकर सासुजी के पावं छूकर देवें |

चाँद को अर्ध्य देतें समय इस प्रकार बोले-

|| सौना को साकल्यो गज मोत्या को हार अहोई अष्टमी के चन्द्रमा के अर्ध्य देतें दीर्घ आयु होवें  म्हारी सन्तान ||

इस व्रत को कर अपने पारिवारिक सौभाग्य को बढाये और भारतीय परम्परा को आगे बढ़ाएं |

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