यत्र तत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्त कान्ज्जलिम |
वाष्पवारीपरिपूर्णलोचनं मारुतिंनमत राक्षसान्तकम ||
आरती
बजरंग बली
आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की |
जाके बल से गिरिवर कांपै | रोग – दौष जाके निकट न झांके ||
अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई |
दे बीरा रघुनाथ पठाये | लंका जारि सिया सुधि लाये ||
लंका सो कोट समुन्द्र सी खाई | जाट पवन सुत बार न लाई |
लंका जारी असुर संहारे | सियारामजी के काज संवारे ||
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे | लाय संजीवन प्राण उबारे |
पैठी पाताल तोरी जमकारे | अहिरावन की भुजा उखारे ||
बाँए भुजा अंसुर दल संहारे | दाहिने भुजा सब संतजन तारे ||
सुर नर मुनि जन आरती उतारे | जय जय जय हनुमान उचारे ||
कंचन थार कपूर लौ छाई | आरती करत अंजना माई ||
जों हनुमान जी आरती गावे | बसि बैकुण्ठ परम् पद पावे ||
|| जय श्री राम || || जय बजरंग बलि ||