विनायक जी की कहानी
विनायक जी की कहानी -एक दिन विनायक जी राजा के बाग में से गुजर रहे थे उनसे गलती से एक फूल टूट गया। गजानन्द भगवान जी ने सोचा अब तो इसके यहाँ काम करना पड़ेगा फूल टूट गया हैं उसका पाप उतरना पड़ेगा । ये ही इसका प्रायश्चित है। विनायक जी भगवान छोटे बच्चे का रूप धारण किया और राजा के घर नौकरी करने लगे । एक समय रानी जी शौच क्रिया से निवृत्त हो हाथ चूल्हे की राख से धोने लगे। विनायक जी ने देखा तो राख ढुला दी व रेत से हाथ धुला दिये। तो रानी गुस्सा हो राजा से बोली राजाजी आप तो , ऐसा नौकर लाये हो जो हर काम में टाँग अड़ाता है।
राजा ने डांटा तो बालक बोला अशुद्ध हाथ भी कभी चूल्हे की राख से धोते हैं क्या राख में लक्ष्मी होती है। राजाजी बोले विनायक तेरी बात तो सही है। एक दिन राजाजी बोले विनायक “रानी जी को पुष्कर स्नान करवा ला।” दोनों पुष्कर गये तो रानी लोटा लोटा नहाने लगी, विनायक जी ने हाथ पकड़ रानी को डुबकी लगवा कर स्नान कराया। रानी ने महल आकर राजा से शिकायत की कि बढ़िया विनायक लाये जो ये तो मुझे पुष्कर में डुबो देता। राजा उसे डाँटने लगे तो विनायक बोला राजाजी पुष्कर जाकर तो डुबकी लगानी चाहिये लोटे लोटे नहाना तो घर पर ही बहुत है। राजाजी बोले बात तो सही है।
अब कुछ दिन बाद राजाजी ने हवन करवाने की सोची। हवन में बैठने के समय विनायक जी को भेजा कि तू रानी को बुला ला। विनायक गया और देखा रानी ने काले नीले वस्त्र पहने हैं। विनायक ने वस्त्र फाड़ दिये। रानी रूठ गई और आई नहीं। राजा बुलाने आये तो रानी बोली ये विनायक ने मेरे साथ बेहूदा मजाक किया है। राजा ने फटकार लगाई और बोले क्या कुबुद्धि करी है तूने । तो विनायक बोला, राजाजी कभी काले, नीले कपड़े पहन कर हवन में बैठते हैं क्या? लाल चूंदड़ी पहननी चाहिये इसलिए मैंने फाड़ दिया। राजा ने विचार किया, बालक छोटा है पर होशियार है हवन में बैठने लगे तो गणेश स्थापना में देर हो गई। राजा ने कहा गणेश जी बैठाओ। तब विनायक बोला राजा जी आँखें बन्द करो। इतने में विनायक जी भगवान ने दर्शन दिये “ऊंद ऊद्याला, दूध दूधाल्या, ओछी पीड्या ऐझनकारा।” और राजा के खूब अन्न-धन लक्ष्मी का भंडार कर दिया। राजा जी बोले विनायक जी महाराज हमने इतने दिन आपसे काम करवाया हमें बहुत दोष लगेगा। विनायक जी बोले राजाजी आप चिन्ता मत करो। मैं एक बार आपके बाग से गुजर रहा था तो मुझसे एक फूल टूट गया। इसलिये मैंने प्रायश्चि किया व राजा-रानी को आशीर्वाद दे के आगे निकल गये।
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