स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर विशेष Swami Vivekananda Jayanti
स्वामी विवेकानंद जी बचपन का नाम – नरेन्द्र दत्त
जन्म – 12 जनवरी सन 1883 में कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में
मृत्यु – 4 जुलाई 1902 उम्र 39 वर्ष
पिता – विश्वनाथ दत्त
माता – भुवनेश्वरी देवी
गुरु – श्री रामकृष्ण परमहंस
धर्म – हिन्दू
राष्ट्रीयता – भारतीय
शिक्षा – 1884 बी. ए . पास
हमारे आदर्श स्वामी विवेकानन्द जी
स्वामी विवेकानंदजी एक महान चिंतक , महान देशभक्त , दार्शनिक , युवा सन्यासी और आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे | स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी सन 1883 में कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था | इनके बचपन का नाम नरेन्द्र था | इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था | उनकी माता धर्मिक महिला थी | पूजा पाठ में उनकी विशेष रुचि थी | इनके पिता उच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील थे तथा माता धार्मिक महिला थी | नरेंद्र बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि वाले थे | भारतीय नवजागरण के अग्रदूत स्वामी विवेकानन्द जी थे |
स्वामी विवेकानंद जी ‘ उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाय ‘ का संदेश देने वाले समाज सुधारक युग पुरुष स्वामी विवेकानन्द जी के जन्म दिवस को राष्टीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं |
उठो मेरे शेरो , इस भ्रम को मिटा दो की तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो , स्वच्छंद जीव हो , धन्य हो , सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक हैं तुम तत्व के सेवक नहीं हो |
एक शब्द में , यह आदर्श हैं की तुम परमात्मा हो |
जब तक आप खुद पर विश्वाश नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वाश नहीं कर सकते |
एक विचार लो उस विचार को अपना जीवन बना लो उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो उस विचार को जियो अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नशों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो यही सफल होने का तरीका हैं |
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते है अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते |
जब तक जीना तब तक सीखना , अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है |
विश्व एक व्ययाम शाला हैं जहां हम खुद को मजबूत बनाने आते हैं |
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता , तो मुझे यकीन हैं की बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता |
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