संत शिरोमणि नीम करोली बाबा | नीम करौली बाबा का जीवन

संत शिरोमणि नीम करोली बाबा 

sant shiromani neem kroli baba

संत शिरोमणि नीम करोली बाबा का बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। नीम करोली के पिताजी का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। नीम करोली बाबा के भक्तों में  मुख्यत: एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स के साथ साथ ज्यादातर भक्त अमरीका के माने जाते हैं |

20 वीं सदी के ऐसे महान संतो में नीम करोली बाबा गिना जाता था | नीम करोली बाबा के भक्त और उनके अनुयायी उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं | नीम करोली बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे नीम करोली बाबा जी ने अपने आराध्य हनुमान जी के 108 से भी अधिक मन्दिर बनवाये थे |

नीम करोली बाबा मंत्र :——-

 

करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।। श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।। कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु।

 

नीम करोली बाबा का विवाह  सिर्फ 11 वर्ष की आयु में ही  कर दिया था, लेकिन अपने विवाह के तुरंत बाद ही नीम करोली बाबा ने अपने घर तथा अपने परिवार को छोड़ दिया था। उसके बाद नीम करोली बाबा गुजरात चले गए थे। वहां पर उन्होंने अपना साधु का जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया था तथा अपने घर छोड़ने के कुछ वर्ष पश्चात नीम करोली बाबा के पिताजी को इसके बारे में पता चला था, कि उनका बेटा करौली के अंतर्गत साधु का जीवन व्यतीत कर रहा है। उसके बाद नीम करोली बाबा की पिताजी ने उनको गृहस्थ जीवन जीने के लिए काफी निवेदन किया था, तो उनकी बात मान कर नीम करोली बाबा ने फिर से ग्रस्त जीवन जीना शुरु कर दिया था, लेकिन कुछ साल बाद इन्होंने फिर से अपने घर को छोड़कर ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था | उन्होंने

एक तपोस्थली बनाई जहां पर भगवाण हनुमान जी की पूजा करने में ही सारा समय व्यतीत करने लगे | नीम करोली बाबा का आश्रम आज भी कैची धाम के नाम से स्थित हैं और भक्तो के दुःख , कष्ट दूर कर सभी भक्तो के आस्था के केंद्र बने हुए हैं |

नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई

नीम करोली बाबा ने  वहां उपस्थित भक्तों से कहा कि अब मेरे जाने का समय आ गया है और तुलसी-गंगाजल लाने का आदेश दिया। तत्पश्चात उन्होंने रात्रि में अपने प्राण  त्याग दिए    | बाबाजी में भक्तो की अटूट आस्था हैं आज भी उनका आश्रम भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ हैं |

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