पौषअमावस्या व्रत पितृ पूजन का धार्मिक महत्त्व | Paush Amavasya Ka Dharmik Mahattv

पौष अमावस्या व्रत पितृ पूजन का धार्मिक महत्त्व

पौषअमावस्या  पौष माह में आने के कारण इस अमावस्या को पौषी अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं | पौष माह धार्मिक कर्मो के लिए श्रेष्ठ हैं | पितृ तर्पण , पूजन का विशेष महत्त्व हैं | पौषी अमावस्या पितृ दोष निवारण और काल सर्प दोष के निवारण के लिए श्रेष्ठ हैं |

 महत्त्वपूर्ण हैं पितरो को धन से नहीं केवल श्रद्धा पूर्वक किये पूजन से प्रसन्न किया जाता हैं | पौषी अमावस्या का दिन व्रत , तर्पण ,पूजन के लिए श्रेष्ठ हैं |

पौष अमावस्या के दिन किसी तीर्थ स्थान पर पितृ तर्पण कर ब्राह्मण भोजन करवाने से पितृ प्रसन्न होते हैं |

इस दिन “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय “ मन्त्र का जप करने मात्र से ही पितृ प्रसन्न होते हैं |

पितृ दोष निवारण के लिए   ” ॐ पितृ देवयो नम :’ मन्त्र का जप करे |

इस दिन तामसिक वस्तुओ का सेवन कदापि नहीं करे |

इस दिन बहन , भांजी , भांजा को भोजन करवाए और दक्षिणा देने से पितरो की आत्मा को शांति प्राप्त होती हैं तथा पितृ दोष निवारण हो जाता हैं |

पितृ तर्पण से बढकर और कोई कल्याणकारी कार्य नहीं हैं और वंश वृद्धि के लिए पितरो की आराधना की एकमात्र उपाय हैं |

इस दिन पितृ पूजन करने व्रत करने गृह क्लेश का नाश हो परिवार में सुख शांति , वंश वृद्धि , अन्न धन के भंडार सदैव भरे रहते हैं |

पराई निंदा , चोरी , झूठ बोलना , तामसिक भोजन , नशा आदि कृत्य इस दिन सर्वथा वर्जित हैं |

मन ही मन इस दिन “ ॐ पितृ देवाय नम: “ इस मन्त्र का जप करे किसी द्वार पर आये याचक को भूखा नहीं जाने दे |

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