पथवारी माता की कहानी

पथवारी माता दो सास बहु थी | बहु दूध दही बेचने जाती थी | रस्ते में पथवारी माता का थान आता तो वहा दूध दही  पथवारी माता को चढ़ा देती और घर आ जाती सास पूछती बहु दूध दही बेच कर  आ गई | और बहु हामी भर लेती | जब महिना पूरा हुआ तो सास बोली बहु पैसे लेकर आ तब बहु पथवारी माता की शरण में जाकर बैठ गई | शाम हो गई पर बहु घर नहीं गई रात होने लगी बहु बिना पैसे लिए घर कैसे जाये तो बहु को रोना आने लगा | तब पथवारी माता आई और बोली हे ग्वालन ऊ क्यों रो रही हैं तब वह बोली मुझे तो दूध दही बेचना नहीं आता इसलिए में दूध दही आपके चढ़ा जाती अब महिना पूरा हो गया मेरी सास मेरे से पैसे मांग रहीं हैं कहा से दू तब पथवारी माता बोली ग्वालन घबरा मत और यहाँ से कंकड़ पत्थर ले जा और ओबरी में रख दे जब सास पूछे तो बता देना पैसे ओबरी में रखे हैं | बहु ने जैसा पथवारी माता ने कहा वैसा ही किया | जब सास ने ओबरी खोली तो धन ही धन देखा तो बहूँ को बुलाया और पूछा बहु तू इतना धन कहा से लाइ तब बहूँ ने साड़ी बात सच सच बता दी |

सास बहुत प्रसन्न हुई और परिवार सहित सुख से रहने लगे | जय बोलो पथवारी माता की |

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