माघ मास महात्मय व्रत उद्यापन विधि | magh-maas-vrat-udyaapan-vidhi

माघ मास उद्यापन विधि

माघ मास व्रत उद्यापन विधि

माघ मास स्नान करने वालो को माघ पूर्णिमा को प्रातः काल पवित्र तीर्थ में पवित्र नदियों  गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम में अथवा किसी भी नदी में स्नान करके एवं पवित्र होकर उसी क्षेत्र में एक मण्डप बनाकर उसमें भगवान् विष्णु की स्थापना कर। ज्ञानी ब्राह्मणों  को बुलाकर गौरी गणेश तथा नवग्रह की स्थापना करके सत्यनारायण भगवान् का पूजन करें और कथा श्रवण करें। तत्पश्चात् एक वेदी बनाकर वेदी के पश्चिम भाग मे बैठकर तिल, चावल, जौ, गूगुल तथा घी का हवन करें। तदुपरान्त ब्राह्मणों का वरण करें। बाद में चक्र बनाकर ब्रह्मादि देवताओं का पूजन करके वहाँ कलश के ऊपर सोने की  श्री लक्ष्मी देव विष्णु की मूर्ति स्थापित करे। इदं विष्णुरिति’ इस मंत्र से आवाहन करके पुरुष- सूक्त के मंत्रो द्वारा षोडशोपचार पूजन करे और पलंग के साथ पाँच वस्त्रों को तथा ब्रह्मण को लोटा, धोती, अंगौछा, छाता, खड़ाऊँ, आसन, माला, जनेऊ जोड़ा अथवा सुवर्ण मुद्रा, तिल आदि का दान करें तथा गोदान करके  विसर्जन करें।

 

 

इसके पश्चात गीत, कीर्तन वाद्यादिक मंगल गान और उत्सव मनावें तथा यथाशक्ति ब्रह्मणों को भोजन और यथाशक्ति उनको दक्षिणा भी दें

जो मनुष्य माघ मास मे इस माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है तथा उपरोक्त रीति से उद्यापन करता है तो इस व्रत व उद्यापन से कुल से सात जन्मों के किये गये सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं। उस मनुष्य को सुख, सन्तति एवं सौभाग्य प्राप्त होते हैं तथा सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते है।

अन्य समन्धित पोस्ट

माघ स्नान9   से 13  अध्याय 

माघ स्नान 22 वा अध्याय 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.