माँ कामाख्या देवी की साधना | Maa Kamakhya Devi Ki Pooja sadhna
यह साधना तो स्वयं में नवीन रचना कर देने का मार्ग , जों साधरण प्रयासों से घटित न होता हो , उसको घटित कर देने कि क्रिया है , जों कुछ असम्भव हो उसे सम्भव कर दिखाने का उपाय है और केवल यही नही यह तो वर्तमान देह में नई देह रचित कर देने का दावा करता है | इसको सम्पन करने से शरीर में एक विशेष उर्जा तथा क्रियाशीलता का प्रादुभाव होता है तथा ऐसा लगता है कि सारे शरीर के अणु – अणु चेतन्य हो गये है |
नवरात्रा मे माँ कामाख्या देवी की विशेष पूजा की जाती है | माँ कामाख्या की साधना करने से सभी इच्छाये पूरी होती है
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माँ कामाख्या देवी की साधना
इस साधना कि उपलब्धिया देखनी हो तो उनका अनुभव साधारण जीवन में तो नही किन्तु सन्यासियों के मध्य अवश्य देखा जा सकता है | कई – कई दिन तक बिना खाए – पिए भी पूर्ण स्वस्थ बने रहना , बर्फीले पहाडो पर केवल एक वस्त्र धारण करके सुख़ पूर्वक रहना या एक दिन में बीस –बीस मील यात्रा कर लेना , उनके लिए बाये हाथ का खेल है |
साधना विधि
बुघवार की रात्रि को स्नानदि से निवृत होकर अपने पूजा स्थान में बाजोट पर पिला वस्त्र बिछाकर एक थाली में गोला बनाये और इसके मध्य में एक त्रिकोण बनाकर सिंदूर से ‘श्रीं श्रीं श्रीं लिखे , और इसके नीचे अपने नाम का पहला अक्षर लिखे , गोले के बहर आठ दिशाओ में चार चावल की ढेरियाँ बना कर उस पर कामबीज स्थापित कर चार काम बीजों पर कामाख्या देवी की सभी सोलह शक्तियों का पूजन करे , और इन शक्तियों का नाम लेते हुए {अन्नदा , धनदा सुखदा , जयदा , रसदा , मोहवा , रिद्धिदा , सिद्धिदा , वृद्धिदा , शुद्धीका , मुक्तिदा , भुक्तिदा , मोक्षदा , शुभदा , ज्ञानदा , कान्तिदा ] ध्यान कर पुष्प अर्पित करे ,
गुरु का ध्यान करते हुए एक माला गुरु मन्त्र “ ॐ गुरुवे नम: ” का जप करे इसके पश्चात इस मन्त्र का 551 बार जप करे |
|| त्रिं त्रिं हूं हूं स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसिद स्त्रीं स्त्रीं
हूं हूं त्रिं त्रिं त्रिं स्वाहा ||
साधना समाप्ति पर कामरूपनी कल्प को अपनी बाह पर बांध ले स्त्रीया इसे अपनी कमर पर बांध ले ,
और अन्य सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दे |