ब्रह्मा मंदिर पुष्कर
ब्रह्मा मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शहर अजमेर में पुष्कर झील के किनारे पर स्थित है। यह भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जो सृष्टि रचयिता भगवान ब्रहमा जी का है | यह मंदिर मूल रूप से 14वीं सदी में बनाया गया था।
इस मंदिर में मुख्य रूप से पत्थर की पटिया और संगमरमर से बनाई हुई है ब्रह्मा मंदिर के प्रवेश द्वार पर हंस बना हुआ है | मंदिर के भीतर ब्रह्मा जी और माता गायत्री विराजमान है |
यह पुष्कर में स्थित प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण कब और किसके द्वारा किया गया, इसके संबंध में जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है | ऐसी माना जाता है आज से २००० वर्ष अरण्य वंश के राजा ने स्वप्न में इस मंदिर को देखा था इसके बाद उन्होंने इसका पुनर्निर्माण करवाया था |
ब्रह्मा मंदिर पौराणिक कथा
एक समय पृथ्वी पर वज्रनाश नामक एक राक्षस ने अपने अत्याचारों से सबको दुखी किया हुआ था | उसके बढ़ते अत्याचारों को समाप्त करने के लिए सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया जब ब्रह्माजी ने उसका वध किया, तब कमल के तीन पुष्प पुष्कर के तीन विभिन्न स्थानों पर गिरे और इन स्थानों पर झीलें बन गई ये स्थान व्याष्ठा, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर कहलाते हैं |
वज्रनाश का वध करने के बाद ब्रह्माजी ने सभी विषयों एवं देवताओं के परामर्श से पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया इस यज्ञ मैं परम पिता ब्रह्मा जी को देवी सावित्री के साथ यज्ञ में बैठना था सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुँच गए, किंतु ब्रह्माजी की पत्नि सावित्री नहीं पहुँची बहुत देर तक उनकी प्रतीक्षा की गई, किंतु वे नहीं पहुँची शुभ मुहूर्त निकलता देख सभी रिसीव ने ब्रह्मा जी को वही उपस्थित एक गुर्जर कन्या गायत्री से विवाह करने का उपदेश दिया और ब्रह्माजी ने गुर्जर कन्या गायत्री से विवाह कर लिया और उसी के साथ यज्ञ में बैठ गए |
यज्ञ प्रारंभ होने के कुछ देर बाद देवी सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुँच गई. वहाँ अपने स्थान पर किसी और स्त्री को ब्रह्माजी के साथ बैठा देख वह क्रोधित हो गई और देवी सावित्री ने ब्रह्मा जी को को श्राप दे दिया कि उन्होंने अपनी पत्नी का अपमान किया है इसी कारण उन्हें संसार में कहीं भी पूजा नहीं जाएगा भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी की सहायता की थी, इसलिये सावित्री के क्रोध से वे भी नहीं बच पाये उन्हें पत्नि-विरह का कष्ट भोगने का श्राप मिला इसलिए भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम को देवी सीता से वियोग मिला
ब्रह्माजी और देवी गायत्री का विवाह कराने वाले ब्राह्मण और यज्ञ में लाई गई गायों को भी सावित्री के क्रोध का भागी बनना पड़ा ब्राह्मण को श्राप मिला कि उसे चाहे कितना भी दान मिल जाये, वह कभी संतुष्ट नहीं होंगे और गायों को श्राप मिला की कलयुग में गंदगी खाने का श्राप मिला. यज्ञ के अग्निकुंड में समाहित अग्निदेव को उन्होंने कलयुग में अपमानित होने का श्राप दीया सभी देवताओं ऋषि-मुनियों ने एक साथ मां सावित्री का आह्वान किया उनका पूजन किया उनकी महिमा का गुणगान किया और उनसे क्षमा की याचना की उनसे श्राप वापस लेने का निवेदन करने लगे. किंतु देवी सावित्री नहीं मानी उन्होंने देवताओं वह ऋषि-मुनियों की विनती पर देवी सावित्री ने कहा कि बस संसार में इसी स्थान पर ब्रह्मा जी का मंदिर होगा वह पूजन होगा और संसार में कोई भी प्राणी घर-घर में इनका पूजन नहीं करेगा इसके बाद देवी सावित्री पहाड़ पर जाकर विराजमान हो गई और तपस्या में लीन हो गई आज भी राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर में सावित्री माता का
मंदिर है |
ब्रह्मा मंदिर कैसे पहुँचे ? How To Reach Brahma Temple
वायु मार्ग – पुष्कर का सबसे निकटतम एयरपोर्ट जयपुर है, जो पुष्कर से 140 किलोमीटर की दूरी पर है जयपुर पहुँचने के बाद रोडवेज निजी बसों के द्वारा पुष्कर पहुँचा जा सकता है और Jagat Pita ब्रह्मा मंदिर का दर्शन कर सकते है
रेल मार्ग – पुष्कर का निकटतम रेल्वे स्टेशन अजमेर है जहाँ से बस की के द्वारा पुष्कर पहुँचा जा सकता है
सड़क मार्ग – पुष्कर पहुँचने के लिए बस की यात्रा एक उत्तम विकल्प है दिल्ली से अजमेर और अजमेर से पुष्कर के लिए बस सुविधा उपलब्ध है, जो यहाँ पहुँचने का विकल्प है राजस्थान सड़क परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से चलती हैं अजमेर से पुष्कर के लिए हर 30 मिनट में बसे जाती है |
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