गुरु वन्दना |
GURU VANDANA
ब्रह्मानन्द परम् सुखदं केवलं ज्ञान मूर्तिम |
द्व्न्दातितं गगन सदृशं तत्वमस्यादि लक्ष्यम ||
एकं नित्यम विमलमचल्म सर्धी साक्षिभूतं |
भावातीतं त्रिगुण रहितं , सद्गुण तन्मामी ||
बंदउगुरु पद पदमु परागा |
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा ||
श्री गुरु पद नख मनिगन जोती |
सुमिरत दिव्य , दृष्टि हियँ होती ||
|| जय गुरुदेव || || जय गुरुदेव ||
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