शनिवार व्रत कथा
एक ब्राह्मण था। विष्णु भगवान के मंदिर में पाठ करने जा रहा था। रास्ते में शनि देव महाराज मिले। ब्राह्मण बोला आप कहां जा रहे हो। शनि देव भगवान बोले मैं राजा के लगने जा रहा हूं। ब्राह्मण बोला राजा के लगोगे तो सारी प्रजा दुखी वह परेशान होगी। आप मेरे लग जाओ। शनि देव महाराज बोले 7 साल की नहीं, 5 साल के नहीं, ढाई साल की नहीं, सवा साल की नहीं, सवा पहाड़ की दशा लग गई। ब्राह्मण नदी के किनारे जाकर बैठ गया । आसन बिछाकर बैठ गया। “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: “। ओम नमो भगवते वासुदेवाय 5 बार कहके माला फेरने लगा। राजा के दोनों लड़के गायब हो गये । ब्राह्मण का नाम आया । राजा के सेवक उसको उठा के ले गये । राजा ने ब्राह्मण को सुली पर चढ़ाने के लिये सोने की सुली बनवाई । और सुली टुट गई ।
चांदी की बनवाई, तांबे की बनवाई , लोहे की बनवाई सब टुट गई। इतने में सवा पहर पुरा हो गया राजा के लड़के करते खेलते आ गये । रानी दौड़ी थोड़ी राजाजी के पास गयी । और बोली महाराज राजकुमार आ गए। राजा ने ब्राह्मण से सारी बात पुछी । ब्राह्मण बोला शनि देव महाराज आपके लगने आ रहे थे। में बोला मेरे लग जय वो । प्रजा दुखी होगी । राजाजी ने नगर में कहलवा दिया कि सब कोई नारायण के नाक्म का जप करें। शनि देव भगवान सब पर कृपा करते हैं।