भाई बहन की विनायक जी की कहानी | Bhai Behan Ki Vinayk Ji Ki Kahani

एक भाई बहन थे | बहन का नियम था की भाई का मुँह देखकर ही खाना खाती थी | रोज उठती , काम करती , भाई का मुँह देखने जाती | रास्ते में खेजड़ी के पेड़ के नीचे विनायक जी की मूर्ति , तुलसी माता हरी भरी थी | पथवारी माता दूध दही में हिसौले ले रही थी , ऊपर सूरज भगवान तप रहे थे | वो भाई का मुँह देखने जाती और कहती भगवान मेरे को अमर सुहाग देना और अमर पीहरवासा देना |

ऐसा कहती और आगे जाती रास्ते में काटों की झाडिया थी , जिससे बहन के पैर में कांटे चुभते | घर गई भाई का मुँह देखा , बैठा | भाभी ने पूछा “  बाईसा पैर में क्या हुआ | तो बहन बोली रास्ते में कांटा चुभ गया | ऐसा कहकर बहन वापस अपने घर आ गई | भाई ने पूछा बहन गई क्या तो उसकी पत्नी ने कहा बाईसा हाँ गये उनके पाँव में कांटा चुभ गया |

भाई ने सोचा मेरी बहन आती हैं तब उसके कांटे चुभते हैं इसलिये भाई ने अपने घर से बहन के घर तक का रास्ता साफ कर दिया ,गणेशजी भगवान , पथवारी माता तुलसी माता को साफ कर दिया जिससे भगवान रुष्ट हो गये और उसे वही सोता रख दिया | पत्नी रोने लगी | लोग लोकाचार करने ले जाने लगे तो पत्नी बोली रुक जाओ , अभी मेरी नन्द अपने भाई का मुँह देखने आयेगी | उनके नियम हैं अपने भाई का मुँह देखे बिना खाना नहीं खाती |

कुछ लोग बोले आज तो मुँह देख लेगी कल क्या करेगी | एक बुजुर्ग व्यक्ति बोला ‘ थोड़ी देर और ठहर जावों | बहन रोज की तरह भाई का मुँह देखने निकली तब रास्ता साफ किया हुआ देखा तो वापस खेजड़ी की डाली लगाई सात पत्थर लेके पथवारी माता बैठाई , तुलसी माता का पेड़ लगाया , गणेशजी भगवान की मूर्ति स्थापित कर , सूरज भगवान को साक्षी मान सब के पाँव पकड़ कर बोली भगवान अमर सुहाग देना , अमर पीहरवासा देना , इतना कहकर वो आगे चली गई |

खेजड़ी , विनायक जी भगवान , तुलसी माता , पथवारी माता , सूरज भगवान ने सोचा इसकी नहीं सुनी तो अपने को कौन मानेगा ?

भगवान ने उसे आवाज दी ,” बेटी वापस आकर खेजड़ी की सात पत्तियाँ ले जाकर तेरे भाई के कच्चे दूध में घोलकर छीटे देना वो उठकर बैठ जायेगा | “ बहन ने पीछे मुडकर देखा वहाँ कोई नहीं था पर उसने सोचा सुना जैसा कर लेती हूँ | खेजड़ी की सात पत्तिय लेकर वो भाई के घर पहुंची देखा भाभी रो रहीं हैं , लोग बैठे हैं , भाई की लाश रखी हैं वो घर में गई खेजड़ी की पत्तियों को कच्चे दूध में घोल कर भाई के छिटा लगाया भाई उठकर बैठ गया और बहन से बोला , “ बहुत ही गहरी नींद आई हैं |” बहन बोली ऐसे नींद दुश्मन को भी न आऐ |

कोकिला व्रत विधि , कथा महत्त्व पढने के लिए यहाँ क्लिक करे

भैया तुमने रास्ता साफ क्यों किया , भगवान के स्थान क्यों उठाये | अब में वापस उन्हें ऊँचे में बैठा कर आई हूँ | तब भगवान ने मेरी श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होकर अमर सुहाग अमर पीहरवासा दिया हैं |  हे भगवान जैसे मेरी लाज रखी वैसे सबकी लाज रखना , अमर सुहाग अमर पीहर वासा देना |

|| जय बोलो विनायक जी , पथवारी माता , तुलसी माता , खेजड़ी , सूरज भगवान की जय ||

अन्य समन्धित पोस्ट

करवा चौथ व्रत की कहानी 

तिल चौथ व्रत की कहानी 

Categorized in: