पुरुषोत्तम, मल या अधिक मास
 सनातन धर्म संस्कृति में  पंचांग के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष एक अधिक मास होता है। यह सौर और चंद्र मास को एक समान करने  की प्रकिया है। शास्त्रों के अनुसार पुरुषोत्तम मास में किए गए जप, तप, दान , भगवत भक्ति ,कथा श्रवण से अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है।  बारह संक्रांति होती हैं और इसी आधार पर हमारे पर आधारित बारह मास होते हैं।  प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर अधिक मास  मलमास आता है। 

पुरषोत्तम मास का महात्म्य 

  • जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह अधिक मास होता है। इसी प्रकार जिस  माह में दो सूर्य संक्रांति होती है उसे क्षय मास कहते  है।
  • इन दोनों ही महीनों  में मांगलिक कार्य वर्जित माने गये  हैं परंतु इस मास में धार्मिक दान पूण्य धर्म-कर्म , कथा श्रवण , कीर्तन , नाम जप ,  पुण्य फलदायी होते हैं।

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