विनायक जी की कहानी |

SHREE VINAYAK JI BHAGWAN KI KAHANI 

 विनायक जी भगवान एक अन्धी बुढिया माई के पति बेटा व बहु थे | वे बहुत गरीब थे | बुढिया माई के प्रतिदिन गणेशजी की पूजा करने का नियम था | एक दिन गणेशजी भगवान उससे प्रसन्न हो गये और बोले बुढिया माई तेरी पूजा से मैं प्रसन्न हुआ वर मांग , तब बुढिया माई बोली हे कृपा सिन्धु ! मुझे तो मांगना नही आता | तब भगवान गणेशजी बोले तेरे बेटे से पूछ ले | तब बुढिया माई बेटे से पूछी तो बेटा बोला माँ धन मांग ले | बहु से पूछा तो बहु बोली माँ पोता मांग लो | तब माई ने सोचा ये दोनों तो अपने – अपने मतलब का मांग रहे हैं क्यों न में पड़ोसन से पूछ लू | पड़ोसन से पूछा तो पड़ोसन बोली – तू क्यों धन मांगे ,क्यों पोता ,तू तो अपने लिए दीदा गोंडा { आँखे और घुटने } मांग ले | तब बुढिया माई घर आई और सोचा की ऐसी चीज माँगनी चाहिए जों बेटा – बहु भी खुश हो जाए और अपना भी काम हो जाय |

दुसरे दिन गणेश जी भगवान आये और कहने लगे माई कुछ मांग | तब बुढिया माई बोली “

दीदा गोंडा देवों सोने के कटोरे में पोते को दूध पिता देखू , अमर सुहाग देवों , निरोगी काया देवो , सभी को सुख़ देवो |”

तब भगवान गणेशजी बोले माई तूने तो मुझे ठग लिया | सब कुछ मांग लिया और कहती हैं मुझे मांगना नहीं आता पर ठीक हैं ततास्तु कहकर भगवान गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये | बुढिया माई के सब सुख़ हो गये |

हे गणेश जी भगवान जैसा बुढिया माई व उसके परिवार को दिया वैसे धन के भंडार सब के भरना |

|| ॐ गंग गणपतये नम: ||                                 || ॐ गंग गणपतये नम: ||

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