भगवान के भोग प्रसाद का महत्त्व | Bagwan Ke Bhog Parsad Ka Mahttv

प्रसाद का महत्त्व

प्रसाद से तात्पर्य – आशीर्वाद

धर्म और भारतीय संस्कृति में पूजा के समय भगवान को भक्ति वात्सल्य भाव से अर्पित किया गया नैवैध्य भगवान को अर्पित कर भक्तो में बाटां गये नैवैध्य को प्रसाद कहते हैं |

प्रसाद मनुष्य जिस रूप में परमात्मा को मानता हैं उसी का आशीर्वाद प्रसाद हैं | मनुष्य के जीवन में प्रसाद का अत्यधिक महत्व हैं |

पत्रं , पुष्पं , फलं तोयं यो में भक्त्या प्रयच्छति

तदहं भक्त्युपहतमश्रामि प्रयतात्मन: |’

जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र , पुष्प , फल , जल भक्तिपूर्वक अर्पित करता हैं उस शुद्ध बुद्धि निष्काम भक्त का प्रेम पूर्वक अर्पित किया हुआ नैवैद्ध्य  सगुण रूप में प्रकट होकर प्रेम पूर्वक खाता हूँ | – भगवान श्री कृष्ण

प्रत्येक देवी देवताओं का नैवेद्य भिन्न भिन्न होता हैं | यह नैवेद्य या प्रसाद जब कोई भक्ति पूर्वक दांये हाथ में बाया हाथ निचे रखकर श्रद्धा से ग्रहण करता हैं भगवान उसकी बुद्धि शुद्ध सात्विक करते हैं | अपनी कृपा रूपी आशीर्वाद प्रदान करते हैं |

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शास्त्रों में विधान हैं कि यज्ञ में भोजन पहले देवताओ को अर्पित कर यजमान स्वयं ग्रहण करता हैं |

देवताओ के प्रिय नैवैध्य ………….

  •  ब्रह्माजी को नारियल , मखाना
  •  श्री विष्णु भगवान को खीर सूजी का हलवा
  • सरस्वती माता को दूध , पंचामृत
  • भगवान शिव जी को भांग और नैवैध्य
  • भगवती लक्ष्मी माँ को श्वेत मिष्ठान , केसर भात
  • गणेशजी को मोदक
  • श्री राम जी को खीर , पंजीरी
  • हनुमान जी को चूरमा , नारियल
  • श्री कृष्ण भगवान को माखन मिश्री
  • माँ दुर्गा को खीर मालपुआ , पुरण पोली , हलवा , लापसी चावल ,
  • सत्यनारायण भगवान को धनिये से बनी पंजीरी , पंचामृत , केला
  • पितृ भगवान को खीर खांड के भोजन

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