श्री महाशिवरात्रि व्रत की महिमा

श्री महाशिवरात्रि  चतुदर्शी तिथि को शिवरात्रि हैं |

व्रतो में शिवरात्रि भगवान शंकर के प्रादुर्भाव की रात्रि मानी जाती हैं |

शिवरात्रि मुख्य रूप से फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती हैं |

इस दिन भक्त जन समारोह के साथ उपवास ,पूजन , अभिषेक , भजन तथा रात्रि जागरण आदि करते हैं |

इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और सुख़ – शान्ति प्राप्त कराकर धन , वैभव , ऐश्वर्य

प्रदान करते हैं |

 

 

 

 

श्री महाशिवरात्रि व्रत उद्यापन विधि 2023

 

महाशिवरात्रि व्रत चौदह वर्ष तक करना चाहिए | चौदह वर्ष व्रत करने के बाद पन्द्रहवे वर्ष उद्यापन करना चाहिए |

त्रयोदशी को एक समय भोजन करना चाहिए |

चतुर्दशी को सम्पूर्ण दिन उपवास करना चाहीये |

महाशिवरात्रि के दिन नित्यकर्म से निवर्त होकर शिव मन्दिर में जाकर विधिपूर्वक भगवान शिव का पूजन अर्चन करना चाहिए |

सोने या चांदी से निर्मित कलश स्थापित करना चाहिए | यथा शक्ति

ताम्बे का कलश भी स्थापित क्र सकते हैं वह भी शुभ फलदायी होता हैं |

कलश पर चांदी से निर्मित शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित करे |

रात्री के चारो पहर विधिपूर्वक पूजन सामग्री सहित पूजन करे |

भगवान शिव के भजन करते हुए रात्री जागरण करे |

दुसरे दिन यथाशक्ति भोजन करवाकर  ब्राह्मणों को दान दक्षिणा प्रदान करे |

भगवान शिव को पुष्पांजलि अर्पित करे |

यह महाशिवरात्रि व्रत सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाला हैं |

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