गोगाजी राजस्थान के लोक देवताओं में गोगाजी का विशेष महत्त्व हैं | भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को उनकीं याद में यह त्यौहार मनाया जाता हैं , जिसे ” गोगा नवमी “ के नाम से जाना जाता हैं अश्वारोही योद्धा के रूप उनकी पूजा की जाती हैं | गोगाजी के स्थान पर सर्प की आकृति खुदी हुई होती हैं इनका स्थान खेजड़ी के पेड़ के नीचे होता हैं | गोगाजी को नागराज का अवतार माना जाता हैं | गोगाजी के बारे में कई सारी कहावते प्रचलित हैं |

‘ गाँव गाँव खेजड़ी गाँव गाँव गोगो ‘

गोगा नवमी के दिन कुम्हार अश्व पर सवार गोगाजी की मूर्ति बनाकर घर घर ले जाते हैं , जहाँ उनकी पूजा होती हैं | रक्षाबन्धन पर बाँधी गई राखियाँ खोलकर गोगा जी के चरणों में अर्पित की जाती हैं | खीर , लापसी ,  पुड़ी – पुए , चूरमे का भोग लगाया जाता हैं | स्त्रियाँ घर की दीवारों पर सर्पाकार आकृतियां बनाकर रोली , अक्षत से पूजा करती हैं और सामूहिक गीत गाती हैं | ऐसी मान्यता हैं की यदि किसी के घर पर सर्प निकल जाये तो गोगाजी को कच्चे दूध का छिटा लगा देते हैं , जिससे सर्प बिना हानि पहुचाये चला जाता हैं , जिस घर में गोगा जी की पूजा होती हैं उस घर के लोगो को सर्प नहीं काटता गोगाजी पुरे परिवार की रक्षाकरते हैं | गोगाजी में लोगो अत्यधिक हैं |

राजस्थान में गोगाजी का प्रमुख स्थान गोगामेडी हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित हैं तथा दूसरा स्थान ददेवरा चुरू जिले में हैं | इन दोनों स्थानों में गोगा नवमी को विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं | राजस्थन में तो स्थान स्थान पर गोगाजी के स्थान हैं तथा मेले का आयोजन व गोगाजी का पूजन अर्चन किया जाता हैं |  ‘ गोगा पीर ‘ व  ‘ जाहिर वीर ‘के जयकारो के साथ इनके गुरु गोरख नाथ जी की जय जयकार होती हैं | इनकी पूजा आराधना सभी धर्मो के लोग करते हैं |

कथा

राजस्थान के लोकदेवता गोगाजी का जन्म गुरु गोरखनाथ के वरदान से हुआ था | गोगाजी की माँ बाछल देवी नि: सन्तान थी | सन्तान प्राप्ति के सभी यत्न करने पर भी सन्तान सुख़ नहीं मिला | गुरु गोरखनाथ ‘ गोगामेडी ‘ के टीले पर तपस्या कर रहे थे | बाछल देवी उनकी शरण में गई तथा गुरु गोरखनाथजी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गूगल नामक फल प्रसाद रूप में दिया | प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और नवे महीने पुत्र प्राप्ति हुई | यही बालक गोगाजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ | गूगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा |

|| जय बोलो गोगा जी की जय ||

अन्य समन्धित पोस्ट

रामदेवजी भगवान की कथा