लक्ष्मी माता की कहानी

लक्ष्मी माता हे माँ भगवती आपके श्री चरणों में बारम्बार मेरा प्रणाम | धन धान्य की देवी माँ लक्ष्मी परम चंचल हैं वह अधिक दिनों तक एक स्थान पर निवास नहीं करती हैं | समुंदर मंथन में से निकली तथा भगवान श्री विष्णु के वाम भाग में विराजती हैं | भगवान श्री विष्णु के साथ शिर सागर में निवास करती हैं | धन की देवी लक्ष्मी माँ भगवती

 

लक्ष्मी माता की कहानी

एक दिन भगवान श्री नारायण के मन में मृत्युलोक में भ्रमण करने की इच्छा उत्पन्न हुई | तब देवी लक्ष्मी ने श्री नारायण को देवी लक्ष्मी ने कहा में भी आपके संग चलूंगी | तब श्री विष्णु भगवान ने कहा हे देवी ! में आज दक्षिण दिशा में जा रहा हु आज आप नहीं आ सकती आपको दक्षिण दिशा में आना वर्जित हैं | फिर और दिन मेरे साथ चलना | ऐसा कहकर नारायण मृत्युलोक में जाने लगे | परन्तु देवी लक्ष्मी श्री नारायण के पीछे पीछे चल पड़ी | रस्ते में एक गन्ने का खेत आया देवी भगवती लक्ष्मी ने गन्ना तोडकर खा लिया | थोड़ी देर में भगवान श्री नारायण आये तो उन्होंने कहा ! हे देवी ! आप ने सब जानते हुए भी किसी और के खेत से चुराकर गन्ना कैसे खाया अब आपको किसान के घर दासी बन क्र रहना पड़ेगा | देवी मुस्कराई और कहा जैसा स्वामी आप कहे | ऐसा कहकर देवी लक्ष्मी ने कन्या रूप धारण किया और किसान से बोली आप मुझे अपने घर कम पर रख लो में सब कम घर के कर दूंगी जो भी बचा हुआ खाने को दोगे   में खा लुंगी | किसान को बच्ची पर दया आ गी और काम पर रख लिया | देवी लक्ष्मी के आने के बाद भी किसान की दरिता दूर नहीं हुई तब कन्या ने किसान को देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के लिए खा और पूजा के परभाव से किसान के दिन बदल गये | और किसान के घर में धन धान्य से भर गया |

समय निकलने पर श्री नारायण देवी लक्ष्मी को लेने आये पर किसान को देने से मना क्र दिया तब श्री नारायण ने कहा साल में पाच दिन तेरे घ्ज्र पर ही निवास करेगी | शुक्रवार को श्री लक्ष्मी का पूजन करना व्रत करना खानी सुनना | किसान को आशीर्वाद देकर भगवान नारायण देवी लक्ष्मी सहित अपने धाम में पधार गये |

जो कोई भी भक्त माँ की आरती गाते हैं  चालीसा पढ़ते हैं उनकी सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती हैं | उनके घर में धन  धान्य के भंडार सदैव ही भरे रहते हैं |

श्री लक्ष्मी chalisa

श्री लक्ष्मी की की आरती 

 

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