होलिका दहन की पौराणिक पूजन विधि2023
शुभ मुहूर्त में करे इन मंत्रों से करें पूजन
होली पूजन मन्त्र देशकाल एंव नाम-गोत्र उच्चारण पूर्वक ”मम सकुटुम्बस्य ढुण्ढा राक्षसीप्रीत्यर्थे तत्पीड़ापरिहारार्थम् होलिका पूजनं च अहं करिष्ये।” इसका अर्थ यह हैं की मै परिवार सहित डुंडा राक्षसी की प्रसन्नता के लिए तथा उससे जो पीड़ा हैं उसके नाश के लिए परिवार सहित होलिका पूजन करता हूँ | इस मंत्र से संकल्प करें तत्पश्चात ध्यान मंत्र से ध्यान करें-‘असृक्याभयसंत्रस्त्रैः कृत्वा त्वं होलिवालिशैः। तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभव।।’ हे भूते मै तेरी पूजा करता हूँ तू हमको एश्वर्य प्रदान कर |
तत्पश्चात ‘होलिकायै नमः’ मंत्र से यथाविधि पूजन करें। दीप मंत्र- ‘दीपयाम्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे। हिताय सर्व जगताय पीतये पार्वतीपतेः।।’
इत्यादि मंत्रों से पूजन कर – ‘अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।’ से जल अपित करें |
तत्पश्चात अग्नि प्रज्जवलित होलिका की 3 बार परिक्रमा करें।
फिर दूसरे दिन होलिका भस्म अपने अंगो पर लगाकर इस मंत्र- ‘वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव।।’ भस्म को मस्तक, सीने व नाभि में लगाएं तथा घर के हर कोने में छिड़क दें। ऐसा करने से घर से नकारामक उर्जा का नाश होगा सकारात्मक उर्जा का संचार होगा एवं सुख-समृद्धि बनी रहेगी। माँ लक्ष्मी की कृपा देव बनी रहती हैं |
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