महामृत्युंजय मन्त्र का भावार्थ
Hindi meaning of the Maha Mritunjay Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
अन्वय : – ॐ सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् त्र्यम्बकं यजामहे मृत्यो र्मुक्षीय
बन्धनान् उर्वारुकमिव अमृतात् मा मुक्षीय ||
वेदार्थ :- ॐ सुगन्धिं – दिव्यगंध से युक्त मृत्य धर्म हिन उभ्यलोको के फलदाता
पुष्टिवर्धनम् :- धन्धान्यादी से पुष्टि बढ़ाने वाले
त्र्यम्बकं :- पृथ्वी अन्तरिक्ष पाताल नेत्रत्रय से सम्पन्न महाकाल की
यजामहे : – पूजा करते हैं | वह रूद्र हमको
मृत्यो :- मृत्यु , अपमृत्यु व संसार के जन्म मरण
मुक्षीय :- मुक्त करे , जिस प्रकार
बन्धनान् :- अपने बन्धन से
उर्वारुकमिव :- पके हुए कर्करी फल के समान अर्थात जैसे फल पक जाने पर अपनी ग्रन्थि से टूटकर धरती पर गिर जाता हैं उसी प्रकार महामृत्युंजय सदा सिव की कृपा से जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता हैं |
अमृतात् :- स्वर्गरूप मुक्ति से
मा मुक्षीय – न छुटे |
वेदार्थ :- ॐ सुगन्धिं – दिव्यगंध से युक्त मृत्य धर्म हिन उभ्यलोको के फलदाता ,पुष्टिवर्धनम् :- धन्धान्यादी से पुष्टि बढ़ाने वाले , त्र्यम्बकं :- पृथ्वी अन्तरिक्ष पाताल नेत्रत्रय से सम्पन्न महाकाल की ,यजामहे : – पूजा करते हैं | वह रूद्र हमको ,मृत्यो :- मृत्यु , अपमृत्यु व संसार के जन्म मरण ,मुक्षीय :- मुक्त करे , जिस प्रकार, बन्धनान् :- अपने बन्धन से ,उर्वारुकमिव :- पके हुए कर्करी फल के समान अर्थात जैसे फल पक जाने पर अपनी ग्रन्थि से टूटकर धरती पर गिर जाता हैं उसी प्रकार महामृत्युंजय सदा सिव की कृपा से जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता हैं | अमृतात् :- स्वर्गरूप मुक्ति से मा मुक्षीय – न छुटे |
इस प्रकार मन में ध्यान करते हुए विधिवत शिवपूजन करके जप करने से अकाल मृत्यु और दुखो का नाश होता हैं |