ॐ बृह बृहस्प्तये नम: ||
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरुवे नम: ||
इन मन्त्रो का जप 108 बार कहानी सुनने के बाद नियम से सात बृहस्पति वार करने से विद्यार्थी को ज्ञान बुद्धि के साथ – साथ भाग्य वृद्धि तथा विवाह और सन्तान सुख़ देने वाला माना गया हैं |
|| बृहस्पतिवार की आरती ||
ॐ जय बृहस्पति देवा , जय बृहस्पति देवा |
छिन – छिन भोग लगाऊं , कदली फल मेवा ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
तुम पूर्ण परमात्मा , तुम अन्तर्यामी |
जगत पिता जगदीश्वर , तुम सबके स्वामी ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
चरणामृत निज निर्मल , सब पातक हर्ता |
सकल मनोरथ दायक , कृपा करों भर्ता ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
तन , मन , धन अर्पण कर , जों जन शरण पड़े |
प्रभु प्रकट तब होकर , आकर द्वार खड़े ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
दीनदयाल दयानिधि , भक्तन हितकारी |
पाप दोष सब हर्ता , भव बंधन हारी ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
सकल मनोरथ दायक , सब संशय तारी |
विषय विकार मिटाओ , संतन सुख़कारी ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
जों कोई आरती प्रेम सहित गावें |
जेष्टानन्द बंद सो – सो निश्र्चय फल पावे ||
ॐ जय बृहस्पति देवा ||
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