गणगौर की कहानी मारवाड़ी भाषा में | Gangaur Ki Kahani Marvaadi Bhasha
एक बार महादेवजी पार्वतीजी हा मृत्यु लोक की सैर करण निकल्या । साथ नांदया न लियो।सबुन पेला गांव में गया चार लुगायां बेठी ही । बे केवण लागी देखो जी इन नांदिया न फूट रो लागबा के वास्त साथ लियो कांई दोनू जना पैदल चाल रिया ह । दूजा गांव में गया पार्वतीजी न नांदया पर बिठा महादेवजी पैदल चाल रया हा । लुगायां बोली देखो लुगायई तो निरोगी है। जिकी नांदया परं बेठगी ओर बापडो डोकरो पैदल चाल रयो हे। तीजा गांव में गया महादेवजी नांदया पर बेठग्या ओर पार्वती जी पैदल चाल रया लुगायां बोली देखो आप तो डोकरो नांदया पर बेठयो है इन बिचारी न जो नाजुक सी हे पैदल चला रियो हे चौथा गांव में गया महादेवजी पार्वतीजी दोनू नांदया पर बेठग्या लुगायां बोली देखो दोनू का दोनू बेठग्या इ बिचारा नादयां क जीव कोनी कांई । जणा महादेवजी बोल्या पार्वतीजी संसार सागर हे चढ़या न हीं हंस पाला नहीं हंस । महादेव जी महाराज पार्बतींजी न मृतुलोक की सैर कराई जिशी केंवता सुणता सब न कराइजो।
गणगौर की कहानी मारवाड़ी भाषा में 2 | Gangaur Ki Kahani
राजा क बाग जौ चना , माली क बाग दूब। राजा का जौ चना बढ़ता गया , माली की दूब घटती जाई । एक दिन माली सोच्यो कि या के बात हे राजा का जौ चना तो बढ़ता जाव ,म्हारी दूब घटती जाव। एक दिन गाड़ी क ओल्लहुक बैठगो कि देखा छोरिया आई ह और दूब तोड़कर लेजा व जना ऊंना का कोई का डोरा खोस लिया ,कोई का ओढ़ना बोल्या कि थे म्हारी दूब क्यों ले जावो हो , छोरीया बोली कि म्हे सोलह दिन गणगौर पूज़ो हो सो म्हारा घाडोरा ओढ़ना दे दो । सोलह दिन बाद गणगौर बिदा होसी जिके दिन म्हे तन भर भर कुंडारा , सीरा, लापसी का ल्याकर देवाॅंगा । पीछे वो सबका डोरा , कपड़ा पाछा दे दिया ।
सोलह दिन पूरा होग्या , छोरियां भर भर सीरो लापसी मालान ने ल्याकर देई । बारन सू मालन को बेटो आयो बोल्यो कि मां भूख लागरी ह , मालन बोली कि बेटा आज तो छोरियां घणा ही सीरा लापसि का कुंडाला देगी ह ओबरी में पड़या ह खाले । बेटो ओबरी खोलन लाग्या ओबरी खुली कोनी जद मां बोली बेटा ओबरी कोणी खुली तो आबाली ण किया डाब लो जद बेटो बोल्यो माँ आबाली ण तो दाब लुन्गो आक ओबरी खोल जद माँ आक चिटली आंगली की छाटो दियो तो ओबरी खुलगी , देख तो इसर जी तो पेचो बांध गोरा चरखो कातह सारी चीज़ों स भंडार भर्या पड़या ह भगवान इसर को सो भाग दियो गोरा को सो सुहाग दियो कहता न सुनता न आपना सारा परिवार ने देईये।
गणगौर की कहानी मारवाड़ी म 3
Gangaur Ki Kahani
गोरा माताजी पीर जावण लाग्या रास्ता क मायन एक गाभिण गाय मिली बा तडफड-तडफड कर ही जणा पार्वती जी महादेवजी महाराज न पूछया आ यान क्यूं कर ह ? महादेवजी बोल्या पार्वतींजी आग चालो फेर देखां पार्वतीजी बोल्या नहीं महाराज अबार बताओ नहीं तो आग कोनी चालां। जणा महादेवजी बोल्या पार्वतीजी आ कष्ठी ह इक बाल बच्चो होणे वालो है । महाराज बाल बच्चो हुव जणा इत्ती तकलीफ हुव कांई जणा तो म्हार गांठ बांध देवो । महादेवजी बोल्या पार्वतींजी आग चालो
दूसरा गांव में गया घोडी क बाल बच्चो होने वालो हो। घोडी उठ ही बेठ ही तकलीफ पा रही ही पार्वताजी बोल्या आ यान क्यू कर है महादेवजी बोल्या इक बाल बच्चों होणे वालो हे पार्वती जी बेल्या इत्ती कष्ठ हुव जणा म्हार गांठ बांध देतो महादेवजी बोल्या आग चाला
तीसरा गाँव में गया एक राजा की राणी कष्ठी ही बाल बच्चो होने वालो हो गांव भोत बडो हो पण सब सून सान | हो हो पार्वती जी बोल्या महादेवजी ई गांव में इत्तो सून सान क्यूं ह महादेवजी बोल्या पार्वताजी राजा की राणी क बाल बच्चो होणे वालो है जिको बजार बंध है अगर बाल बच्चो होणे में इत्तों कष्ठ हुव ता म्हार गांठ बांध देवो महादेवजी बोल्या पार्वताजी आग चालो
पार्वतजी जणा जिद्द करर बेठ ग्या महाराज गांठ बांधो तो ही चालू नहीं तो कोनी चालू महादेवजी पार्वताजी की जिद्द देख कर गांठ बांध दिवी। दोनू जणा सासर गया दस पन्दरा दिन रिया खुब मान मनवार हुयी। कोई बोल्यो भुवा आयी कोई बोल्यो बेन आयी। पाछा रवाना हुवण लाग्या जणा रसोई बनाई महादेवजी भांग का नशा में बनाई जिकी सब जीम लिवी । ४ फल एक बथवा की पिंडी छोडया पार्वताजी बित्तो ई खार रवाना होयग्या रस्ता म आया एक झाड के निच बेठया महादेवजी बोल्या पार्वताजी थे कांई जीम्या महाराज थे जीम्या जिको ई म्ह जीम्या पार्वताजी झाड क नीच सोयग्या महादेवजी ढ़कणी उगाड कर देख्या पार्वताजी चार फल ओर एक बथवा की पिंडी जीम्या हा ।
पार्वताजी उठया पछ महादेवजी बोल्या म्हे बताऊँ थे कांई जीम्या चार पाल ओर एक बथवा की पिंडी । पार्वतीजी बोल्या आज तो म्हारी ढ़कणी खोल्या आगऊँ कोई की खोलनी नहीं । सगला गांव की लुगायां न मालुम पडयो कि महादेवजी ओर पार्वताजी आया ह अब लुगायां, मालण्या, कुंम्हांरण्या, जाटण्या सगली दर्शन करण क लिये आयी । पार्वतांजी बहोत बहोत सवाग बांटयो । महादेवजी बोल्या पार्वतांजी थाकी सहेल्यां तो अब आ रही ह बे पेर ओढ़ कर आयी जठ तांई देर होयगी पार्वताजी बोल्या महाराज म्ह तो सब सवाग बांट दियो । महादेवजी बोल्या थोडो तो देणू लागी अब लाण्या पूजा करण आई है पार्वताजी चिट्टी आंगली सूं छींटो दियो कोई क थोडो आयो कोई क घणो आयो कोई क कोनी आयो सब लाण्या घर चली गई ।
महादेव पार्वती जी रवाना होयग्या रस्ता क मायन राजा की राणी क बेटो हुयो झिको बधायां बट रयी हु बाजा बाज रिया ह लुगायां गीत गा रही ह राणी जलवा पूजन जा रही ह पार्वतीजी बोल्या महाराज अठ ओ कांई हो रयो ह । महादेवजी बोल्या पार्वतीजी राजा की राणी क लडको हुयो ह राणी जलवा पूजन जा रही ह महराज म्हारी तो गांठ खोल देवो इशो बच्चो तो म्हार भी होणू महादेवजी बोल्या अब गाठ कोनी खुल। दूसरा गांव म गया घोडी क बच्चो हुयो घोडी क आग लार फिर रयो हो । पार्वताजी बोल्या महाराज इशो बच्चो तो म्हार भी होणू गांठ खोलो । महादेवजी बोल्या अब कोनी खूल आग गया गाय क बच्चो हुयो दोड दोड कर नाच रयो हो । गाय चाट चाट र लाड कर ही । पार्वता जी बोल्या इशो बेटो तो म्हार भी होणू महादेवजी बोल्या अब गांठ कोनी खुल । महादेव पार्वताजीं कैलाश चलाग्का महादेवजी तो तपस्या करण चलाग्या पार्वताजी आपका डील को मेल उतारयो ओर गणेशजी बनाया । जीवनदान देकर दरवाजा कन बिठा दिया । ओर बोल्या कि म्ह नहा रही हूं कोइ न अंदर आबा दीजे मती ।
महादेवजी तपस्या करर आया महाराज अंदर नहीं जानू म्हारी माँ नहा रही है महादेवजी बोल्या किशी माँ बोलर त्रिशुल की मारया गर्दन उतरगी अंदर चलेग्या पार्वतीजी पूछया महाराज थान कोई रोक्यो कोनी काई ? जणा महादेवजी बेन कया एक जिद्दी छोरो रोक हो, म्ह गुस्सा म आर बिकी गर्दन उतारर मायन आयो हूं। पार्वती जी क्यों वो म्हारो बेटो हो बिन पाछो जीवतो करो, म्ह बीक बगैर नहीं रेवूं महादेवजी घबराया आपका गणा न आज्ञा दी कोई आपका बच्चा के पूठ करर सूती होशी तो बीकी गर्दन काटर लेर आवो महादेवजी गण चारू कानी गया सगली मांवां आपका टाबरां न छाती के कन लेर सुती ही एक हथणी पूठ फेर (पीठ फिरा कर) चर रही ही । गण गया बिकी गर्दन उतार कर बी बच्चा के लाकर लगा दी । पार्वतीजी आया बग देख तो डूंड डुंडालो सूंड सुँडालो मोटी सूंड मोटा कान पार्वतीजी वोल्या महाराज यान को कांई ? मूंडो ढूंढया ।इण तो कोई भी कोनी चाही । महादेवजी बोल्या पार्वताजी थां का बेटा की पूजा हर कोई सबसू पेली करी महादेवजी महाराज पार्वताजी न बेटो दियो जिशो सबन दीजो । बेन सवाग दियो जिशो सगला न दीजो कहानी कहता ण सुनता ण हकारा भरता ण |
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