भाई दूज की कहानी,यम दिवित्या – व्रत विधि भैया दूज की कहानी 

Bhai Dooj Vrat Vidhi , Kahani

मंगलवार  14  नवम्बर 2023  

भाई दूज कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की दिवतिया तिथि को यमुना ने अपने घर अपने भाई यमराज जी  को भोजन कराया और यमलोक में बड़ा उत्सव हुआ , इसलिये इस तिथि का नाम यम दिवतिया हैं इसे भैया दूज , भाई दूज  के नाम से भी जानते हैं | इस वर्ष यह व्रत 16 नवम्बर सोमवार  2020  को हैं |

भैया दूज 16  नवम्बर  2020  

अत: इस दिन भाई को अपने घर भोजन न कर बहिन के घर जाकर प्रेम पूर्वक उसके हाथ का भोजन करना चाहिये | उससे बल, आयुष्य , घर्म , अर्थ , धन धान्य ,  और अपरिमित सुख़ की प्राप्ति होती हैं | इसके बदले बहन को ढेर सारा प्यार और सम्मान देवें |

यदि बहन ना हो हो धर्म की बहन , चाचा , मामा , भुआ , मोसी की बेटी – ये सब भी आपकी बहन के समान हैं , इनके हाथ का बना भोजन करें और प्यार , सम्मान देवे |

भाई दूज व्रत  की कहानी

Bhai Dooj Vrat  Kahani

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था | उसकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था | यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी | वह उनसें बडा निवेदन करती किभैया यमराज इष्ट मित्रों सहित मेरे घर आकर भोजन करे | अपने कार्य में व्यस्त यमराज जी बात को टालते रहे  | कार्तिक शुक्ला दिवतिया का दिन आया | यमुना ने इस दिन फिर यमराज जी को भोजन के लिए निमन्त्रण देकर उन्हें अपने घर आने के लिये वचनबद्ध कर लिया |

यमराज जी ने सोचा ”’ मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ | मुझे कोई भी अपने घर बुलाना नही चाहता | बहिन जिस सदभावना से मुझे बुला रही हैं उसका पालन करना मेरा भी धर्म हैं | ” बहिन के घर आते समय यमराज जी ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया |

यमराज को अपने घर आया देख यमुना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | उसने पूजन कर अनेक व्यंजन परोस कर भोजन कराया | यमुना के द्वारा किये गये आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वर माँगने को कहा –  पर यमुना ने कहा “ भैया ! आप प्रति वर्ष इस दिन मेरे घर आकर भोजन करें | मेरी तरह इस दिन जों बहन अपने भाई को सादर सत्कार करेंके टिका लगाकर नारियल दे उसे कभी तुम्हारा भय न रहें | “ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य उपहार देकर यमलोककी राह ली |

 

ऐसी मान्यता हैं की इस दिन जों भाई बहन के घर आता हैं उसे धन धान्य , आयुष्य व अपरिमित सुख़ की प्राप्ति होती हैं उसे जीवन में कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं होता हैं | भाई बहन में स्नेह बढ़ता हैं |